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________________ बंधहेतु- प्ररूपणा अधिकार : गाथा २० ११३ है, किन्तु मात्र विचार करके ही नहीं रह जाती है । इस प्रकार से प्राणियों का कल्याण करने के द्वारा उपकार करने से तीर्थंकरनामकर्म का उपार्जन करके परम पुरुषार्थ - मोक्ष के साधनरूप तीर्थंकरत्व को - प्राप्त करती है । इस प्रकार की सभी आत्माओं को संसार से पार उतारने की तीव्र भावना द्वारा आत्मा तीर्थंकरनामकर्म को बांधती है और सम्यक्त्व प्राप्त करके जो अपने स्वजनादि के विषय में यथोक्त चिन्ता- विचार करती है, यानी मात्र स्वजनों को ही संसारसागर से पार उतारने का विचार करती है और तदनुरूप प्रवृत्ति करती है, वह धीमान आत्मा गणधरलब्धि प्राप्त करती है और जो आत्मा सम्यक्त्व प्राप्त होने पर भव की निर्गुणता को देखकर निर्वेद होने से अपने ही उद्धार की इच्छा करती है और तदनुरूप प्रवृत्ति करती है, वह मु'डकेवली होती. है, इत्यादि कथन प्रासंगिक रूप से समझ लेना चाहिये । अब गाथा के उत्तरार्ध का आशय स्पष्ट करते हैं कि कर्मबंध के चार प्रकार हैं- प्रकृति, स्थिति, अनुभाग (रस) और प्रदेश | उनमें से 'पयडोपएसबंधा जोगेहि' अर्थात् सभी कर्मप्रकृतियों का प्रकृतिबंध और प्रदेशबंध योग से होता है तथा 'कसायओ इयरे' अर्था! कषाय के द्वारा इतर - शेष रहे स्थितिबंध और अनुभाग (रस) बंध का बंध होता है । कर्मों में जो ज्ञानाच्छादकत्व आदि रूप स्वभावविशेष उसे प्रकृतिबंध कहते हैं और जिन कर्म-परमाणुओं का आत्मा के साथ नीरक्षीरवत् सम्बन्ध होता है, वह प्रदेशबंध है । कर्मों का आत्मा के साथ तीस कोडाकोडी सागरोपम आदि कालपर्यन्त सम्बद्ध रहना स्थितिबंध कहलाता है तथा कर्मपुद्गल में अल्पाधिक प्रमाण में ज्ञानादि गुणों को आच्छादित करने वाले एवं हीनाधिक रूप में सुख-दुखादि उत्पन्न करने वाले ऐसे एकस्थानक आदि रस विशेष को अनुभागबंध कहते हैं । इस प्रकार से चौदह गुणस्थानों और चौदह जीवस्थानों में बंधहेतु और उनके भंगों का विचार एवं तत्तत् कर्मप्रकृतियों के सामान्य बध - हेतुओं का कथन जानना चाहिये । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001901
Book TitlePanchsangraha Part 04
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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