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गाथा ३४
ध्रु वा वसत्ताका प्रकृतियां और मानने में हेतु अनन्तानुबंधिकषायों को ध्रुवसत्ताका मानने में हेतु
गाथा ३५.
उवलन प्रकृतियों के नाम और मानने में हेतु
गाथा ३६
ध्रुव और अ वबंधि पद का अर्थ
अध्रुवबंधिनी प्रकृतियों के नाम और अध्रुवबंधिनी
मानने का कारण
गाथा ३७
प्रकृतियों के उदयहेतु
गाथा ३८
[ ३३ ]
ध्रुवा वोदयत्व का अर्थ
गाथा ३६
शुभ, अशुभ, सर्वघाति आदि पदों का अर्थ और कारण
गाथा ४०, ४१
सर्व और देश घाति रस का स्वरूप तथा उसके लिए प्रदत्त उपमायें
गाथा ४२
अघाति रस का स्वरूप
गाथा ४३
संज्वलनकषायचतुष्क और नोकषायों को देशघाति
मानने का कारण
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