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उदार अर्थ-सहयोगी
श्रीमान् मीठालाल जी तालेड़ा स्व० श्रीमान् मूलचंदजी तालेड़ा के सुपौत्र एवं स्व० घेवरचंदजी तालेड़ा के सुपुत्र सरलमना, दानवीर, सुश्रावक श्री मीठालाल जी तालेड़ा का जन्म राजस्थान की पवित्र भूमि ब्यावर में संवत् २००० में स्व० श्रीमती मेहताबबाई को कूक्षि से हआ। आप अपने पिताजी माताजी के इकलौते पुत्र हैं । आपकी तीन बहनें सम्पन्न आदर्श परिवार में ब्याही गई हैं। बचपन में आपका विद्याध्ययन ब्यावर में शान्ति जैन विद्यालय में हुआ। आपके पिताजी सतत धर्मध्यान में लोन रहते थे। कोई भी संत-सतीजी महाराज सा० का पदार्पण होता अथवा दर्शन करने का अवसर होता, वे तुरन्त भक्ति भाव से दर्शन, वन्दन
और सेवा में लग जाते । आपके माताजी भी इसी प्रकार गृहकार्यों से निवृत होकर संत-सतियांजी की सेवा में स्थानक में पधार कर धर्मध्यान करते तथा प्रभू भक्ति, धार्मिक पुस्तकों का स्वाध्याय और माला जपने में लीन रहते थे। ऐसे आदर्श धार्मिक संस्कारों से परिपूर्ण परिवार के इकलौते पुत्ररत्न श्री मीठालाल जी भी धर्मानुरागी, सरल हृदय, परोपकारी, दानवीर, युवाहृदय, समाज एवं राष्ट्र के सच्चे सेवक और एक कुशल व्यापारी हैं।
युवावस्था के प्रारम्भ में आप अपनी बड़ी बहन-बहनोई जी श्री घीसुलाल जी कांठड़ के यहाँ पर मद्रास आये और व्यापार एवं व्यवहार की कला सीखी। तत्पश्चात् सन् १९६१ में कोडम्बाकम, आरकाट रोड, मद्रास में निजी व्यापार आरम्भ किया। १९६२ में बिलाड़ा निवासी श्रीमान बालचंद जी तातेड़ की सुपुत्री पुष्पादेवी के साथ पाणिग्रहण हुआ। तत्पश्चात् व्यापार में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती रही । पूर्वजों की पुण्यवानी से व्यापार में अच्छी वृद्धि के साथ-साथ समाज में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त हो रही है । जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव आये,
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