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बंधक - प्ररूपणा अधिकार : गाथा ३५
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उत्कृष्ट सात पत्योपम को है । अपरिगृहीत- किसी भी देव द्वारा ग्रहण नहीं की हुई देवो की जघन्य आयु पल्योपम की और उत्कृष्ट आयु पचास पल्योपम की होती है ।
ईशान देवलोक में देवों की जघन्य आयु साधिक एक पल्योपम की और उत्कृष्ट आयु साधिक दो सागरोपम की । परिगृहीत देवी की जघन्य आयु साधिक पल्योपम की और उत्कृष्ट नौ पल्योपम की है एवं अपरिगृहीत देवी की जघन्य आयु साधिक पल्योपम की और उत्कृष्ट आयु पचपन पल्योपम की है ।
सनत्कुमार देवलोक में जघन्य आय दो सागरोपम की और उत्कृष्ट आयु सात सागरोपम की, माहेन्द्र देवलोक में जघन्य आयु साधिक दो सागरोपम, उत्कृष्ट आयु साधिक सात सागरोपम, ब्रह्म देवलोक में जघन्य आयु सात सागरोपम, उत्कृष्ट आयु दस सागरोपम, लांतक देवलोक में जघन्य आयु दस सागरोपम, उत्कृष्ट आयु चौदह सागरोपम, महाशुक्र देवलोक में जघन्य आयु चौदह सागरोपम, उत्कृष्ट आयु सत्रह सागरोपम, सहस्रार देवलोक में जघन्य आयु सत्रह सागरोपम, उत्कृष्ट आयु अठारह सागरोपम, आनत देवलोक में जघन्य आयु अठारह सागरोपम, उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम, प्राणत देवलोक में जघन्य आयु उन्नीस सागरोपम, उत्कृष्ट बोस सागरोपम, आरण देवलोक में जघन्य आयु बीस सागरोपम, उत्कृष्ट इक्कीस सागरोपम, अच्युत देवलोक में जघन्य आयु इक्कीस सागरोपम, उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की जानना चाहिये ।
सौधर्म से लेकर अच्युत देवलोक पर्यन्त बारह देवलोकों में स्वामीसेवक की कल्पना होती है । इसके आगे के देवलोक कल्पातीत कहलाते हैं । इन कल्पातीत देवलोकों में से अधस्तन - अधस्तन ग्रैवेयक के विमानों के देवों की जघन्य आयु बाईस सागरोपम, उत्कृष्ट तेईस सागरोपम, अधस्तन - मध्यम ग्रैवेयक में जघन्य तेईस सागरोपम, उत्कृष्ट चौबोस सागरोपम, अधस्तन- उपरितन ग्रंवेयक के देवों की जघन्य आयु चौबोस सागरोपम की और उत्कृष्ट पच्चीस सागरोपम, मध्यम अधस्तन ग्रैवेयक
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