SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बंधक-प्ररूपणा अधिकार : गाथा २३-२४ जीव प्रवेश करते हैं, परन्तु सभी समयों में प्रवेश नहीं करते हैं, यह कैसे जाना जाये ? उत्तर-उपशमश्रेणि में पर्याप्त गर्भज मनुष्य ही प्रवेश कर सकते हैं, अन्य जीव नहीं। प्रवेश करने वाले मनुष्यों में भी चारित्रसम्पन्न आत्मायें ही प्रवेश करती हैं और चारित्रसम्पन्न आत्मायें अधिक-सेअधिक दो हजार करोड़ से लेकर नौ हजार करोड़ ही होती हैं। उनमें भी सभी श्रेणि पर आरोहण नहीं करती हैं, किन्तु कुछ एक श्रेणि पर आरोहण करने वाली होती हैं। जिससे यह जाना जा सकता है कि उपशमणि के सभी समयों में जीवों का प्रवेश नहीं होता है, किन्तु कुछ ही समयों में होता है। उसमें भी किसी समय पन्द्रह कर्मभूमियों के आश्रय से अधिक-से-अधिक चउवन जीव ही एक साथ प्रवेश करने वाले हो सकते हैं, अधिक नहीं। इसीलिये कहा है कि श्रेणि के समस्त काल में संख्यात जीव ही होते हैं, असंख्यात नहीं और वे संख्यात भी सैकड़ों की संख्या में जानना चाहिये, हजारों की संख्या में नहीं। इस प्रकार से उपशमश्रेण सम्बन्धी आठवें, नौवें, दसवें और उपशांतमोहगुणस्थानवर्ती जीवों की संख्या का प्रमाण बतलाने के पश्चात् अब क्षपकश्रेणि की अपेक्षा आठवें से दसवें और क्षीणमोहादि गुणस्थानवर्ती जीवों का प्रमाण बतलाते हैं। __'खवगा' यानि क्षपक-चारित्रमोहनीय की क्षपणा करने वाले आठवें नौवें और दसवें गुणस्थानवर्ती जीव एवं 'खीणाजोगी'-क्षीणमोहगुणस्थानवर्ती और अयोगिकेवलीगुणस्थानवर्ती जीव जघन्य से एक, दो और उत्कृष्ट से एक सौ आठ होते हैं। इसका कारण यह है कि ये सभी गुणस्थानवर्ती जीव किसी समय होते हैं और किसी समय नहीं होते हैं। क्योंकि क्षपकश्रेणि और अयोगिकेवलीगुणस्थानों का अन्तर पड़ता है। जिससे क्षपक-अपूर्वकरण, अनिवृत्तिबादरसंपराय १ प्रतीत होता है कि यहाँ सैकड़ों प्रमाण संख्या नौ सौ तक हो सकती है । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001899
Book TitlePanchsangraha Part 02
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages270
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy