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१०-१५
विषयानुक्रमणिका गाथा १
सर्व विघ्नोपशांति के लिए मंगलाचरण मंगल पदों की व्याख्या पद सार्थक्य
ग्रन्थ रचना का प्रयोजन गाथा २
ग्रन्थ के नामकरण की दृष्टि गाथा ३
पांच द्वारों के नाम
पांच अर्थाधिकारों के लक्षण गाथा ४
योग के भेद मनोयोग के भेदों के लक्षण वचनयोग के भेदों के लक्षण काययोग के भेदों के लक्षण
योगों का क्रमविन्यास गाथा ५
उपयोग विचारणा ज्ञानोपयोग के भेद दर्शनोपयोग के भेदों के लक्षण उपयोगों का क्रमविन्यास जोवस्थान, मार्गणास्थान, गुणस्थान के लक्षण
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१६-३०
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