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परिशिष्ट - ३
वैक्रिय अंगोपांग, वैक्रिय संघात, वैक्रिय- वैक्रिय बंधन, वैक्रिय- तेजस बंधन,
वैक्रिय - कार्मण बंधन, वैक्रिय - तैजस- कार्मण बंधन ।
वैक्रियद्विक - वैक्रिय शरीर, वैक्रिय अंगोपांग ।
वैक्रियषट्क - वैक्रिय शरीर, वैक्रिय अंगोपांग, नरकगति, नरकानुपूर्वी, देवगति, देवानुपूर्वी ।
७५
(श)
शरीरपंचक - औदारिक शरीर, वैक्रिय शरीर, आहारक शरीर, तेजस शरीर, कार्मण शरीर नाम ।
(स)
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संघातनपंचक — औदारिक संघातन, वैक्रिय संघातन, आहारक संघातन, तैजस संघातन, कार्मण संघातन नाम ।
संज्वलन कषाय चतुष्क - संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ । संज्वलनकषायत्रिक -- संज्वलन क्रोध, मान, माया ।
संज्ञौद्विक - संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त, संज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त |
संस्थानषट्क - समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमंडल, सादि, वामन, कुब्ज, हुंड संस्थान । संहननषट्क – वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच, नाराच, अर्धनाराच, कोलिका, सेवा संहनन । सम्यक्त्वत्रिक - औपशमिक
सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, क्षायिक
सम्यक्त्व |
सम्यक्त्वद्विक - क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, क्षायिक सम्यक्त्व |
सुभगचतुष्क - सुभग नाम, सुस्वर नाम, आदेय नाम, यश: कीर्ति नाम । सुभगत्रिक - सुभग नाम, सुस्वर नाम, आदेय नाम ।
सुरत्रिक – देवगति, देवानुपूर्वी, देवायु ।
सुरद्विक – देवगति, देवानुपूर्वी ।
सूक्ष्मत्रयोदशक - ( सूक्ष्म नाम आदि १३ प्रकृतियाँ) सूक्ष्म नाम, साधारण नाम, अपर्याप्त नाम, एकेन्द्रिय जाति, द्वीन्द्रिय जाति, श्रीन्द्रिय जाति, चतुरिन्द्रिय जाति, स्थावर नाम, आतप नाम, नपुंसकवेद, मिथ्यात्व मोहनीय, हुंड संस्थान, सेवार्त संहनन ।
सूक्ष्मत्रिक - सूक्ष्म नाम, साधारण नाम, अपर्याप्त नाम ।
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