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________________ परिशिष्ट-३ ६६ निद्रा-निद्रा, प्रचलाप्रचला, स्त्यानद्धि, उद्योत नाम; तियंचगति, तियंचा नुपूर्वी, तियं चायु; मनुष्यायु । अनादेयद्रिक - अनादेय नाम, अयशः कीर्ति नाम ! अंगोपांगfत्रक औदारिक अंगोपांग, वैक्रिय अंगोपांग, आहारक अंगोपांग । अंतरागपंचक- दानान्तराय, लाभान्तराय, भोगान्तराय, उपभोगान्तराय, वीर्यान्तराय । लोभ । अंतिम संहननत्रिक - अर्धनाराच, कीलिका, सेवार्त संहनन । अप्रत्याख्यानावरणकषायचतुष्क--- अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, अपर्याप्तषटक -- अपर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय, बादर एकेन्द्रिय द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय, असंज्ञी पंचेन्द्रिय | अवद्विक अवधिज्ञान, अवधिदर्शन | अस्थिरद्विक -- अस्थिर नाम, अशुभ नाम । अस्थिरबटक - अस्थिर नाम, अशुभ नाम, दुर्भग नाम, दुःस्वर नाम, अनादेय नाम, अयशःकीर्ति नाम । (आ) आकृतित्रिक -- ( १ ) समचतुरस्र, व्यग्रोधपरिमण्डल, सादि, वामन, कुब्ज, हुंड संस्थान, (२) वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच, नाराच, अर्धनाराच, कीलिका, सेवार्त संहनन, (३) एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जाति । आतपदिक- - आतप नाम, उद्योत नाम । आयुत्रिक - नरकायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु । आवरण- नवकमति, श्रुत, अवधि, मनःपर्याय, केवल ज्ञानावरण; चक्षु, अचक्षु, अवधि केवल दर्शनावरण । आहारकद्विक आहारक शरीर नाम, आहारक अंगोपांग नाम । आहारकसप्तक आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग, आहारक संघात, आहारक आहारक बंधन, आहारक- तेजस बंधन, आहारक-कार्मण बंधन, आहारक-तेजस - कार्मण बंधन नाम । आहारकष्टक् -- आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग, देवायु, नरकगति, नर कानुपूर्वी, नरकाय । Jain Education International For Private & Personal Use Only. www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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