SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 459
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्ततिका प्रकरण ४१२ श्रेणि पर चढ़ने वाला पुरुषवेद का । जिन कर्मों का अन्तरकरण करते समय उदय ही होता है, बंध नहीं होता उनके अन्तरकरण संबंधी दलिकों को प्रथमस्थिति में ही क्षेपण करता है, द्वितीयस्थिति में नहीं, जैसे स्त्रीवेद के उदय से श्रेणि पर चढ़ने वाला स्त्रीवेद का । अन्तर करने के समय जिन कर्मों का उदय न होकर केवल बंध ही होता है, उसके अंतरकरण संबंधी दलिक को द्वितीय स्थिति में ही क्षेपण करता है, प्रथम स्थिति में नहीं; जैसे संज्वलन क्रोध के उदय से श्रेणि पर चढ़ने वाला शेष संज्वलनों का । किन्तु अन्तरकरण करने के समय जिन कर्मों का न तो बंध ही होता है और न उदय ही, उनके अन्तरकरण सम्बन्धी दलिकों का अन्य सजातीय बंधने वाली प्रकृतियों में क्षेपण करता है; जैसे दूसरी और तीसरी कषायों का । अब अंतरकरण द्वारा किये जाने वाले कार्य का संकेत करते हैं । अंतरकरण करके नपुंसक वेद का उपशम करता है । पहले समय में सबसे थोड़े दलिकों का उपशम करता है, दूसरे समय में असंख्यात - गुणे दलिकों का उपशम करता है । इस प्रकार अंतिम समय प्राप्त होने तक प्रति समय असंख्यातगुणे, असंख्यातगुणे दलिकों का उपशम करता है तथा जिस समय जितने दलिकों का उपशम करता है, उस समय दूसरे असंख्यातगुणे दलिकों का पर प्रकृतियों में क्षेपण करता है, किन्तु यह क्रम उपान्त्य समय तक ही चालू रहता है । अंतिम समय में तो जितने दलिकों का पर प्रकृतियों में संक्रमण होता है, उससे असंख्यातगुणे दलिकों का उपशम करता है । इसके बाद एक अन्तर्मुहूर्त में स्त्रीवेद का उपशम करता है। इसके बाद एक अन्तमुहूर्त में हास्यादि छह का उपशम करता है । हास्यादिषट्क का १ इस संबंधी विशेष ज्ञान के लिए कर्मप्रकृति टीका देखना चाहिये । यहाँ तो संक्षेप में प्रकाश डाला है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy