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________________ ३५६ सप्ततिका प्रकरण मनुष्यगति में संवेध--मनुष्यगति में २३ प्रकृतियों का बंध करने वाले मनुष्य के २१, २२, २६, २७, २८, २९, ३० प्रकृतिक, ये सात उदयस्थान होते हैं। इनमें से २५ और २७ प्रकृतिक, ये दो उदयस्थान विक्रिया करने वाले मनुष्य के होते हैं किन्तु आहारक मनुष्य के २३ प्रकृतियों का बंध नहीं होता है, अतः यहाँ आहारक के नहीं लेना चाहिये । इन दो उदयस्थानों में से प्रत्येक में ९२ और ८८ प्रकृतिक, ये दो-दो सत्तास्थान होते हैं तथा शेष पांच उदयस्थानों में से प्रत्येक में १२, ८८, ८६ और ८० प्रकृतिक, ये चार-चार सत्तास्थान होते हैं। इस प्रकार २३ प्रकृतिक बंधस्थान में २४ सत्तास्थान होते हैं। . इसी प्रकार २५ और २६ प्रकृतिक बंधस्थानों में भी चौबीसचौबीस सत्तास्थान जानना चाहिये । मनुष्यगतिप्रायोग्य और तिर्यंचगतिप्रायोग्य २९ प्रकृतिक बंधस्थानों में भी इसी प्रकार चौबीस-चौबीस सत्तास्थान होते हैं। ___ २८ प्रकृतिक बंधस्थान में २१, २५, २६, २७, २८, २९ और ३० प्रकृतिक, ये सात उदयस्थान होते हैं। इनमें से २१ और २६ प्रकृतिक ये दो उदयस्थान सम्यग्दृष्टि के करण-अपर्याप्त अवस्था में होते हैं। २५ और २७, ये दो उदयस्थान वैक्रिय या आहारकसंयत के तथा २८ और २६, ये दो उदयस्थान विक्रिया करने वाले, अविरत सम्यग्दृष्टि और आहारकसंयत के होते हैं। ३० प्रकृतिक उदयस्थान सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टियों के होता है। इन सब उदयस्थानों में ६२ और ८८ प्रकृतिक, ये दो-दो सत्तास्थान होते हैं। इसमें भी आहारकसंयत के एक ६२ प्रकृतिक सत्तास्थान ही होता है। किन्तु नरकगतिप्रायोग्य २८ प्रकृतियों का बंध करने वाले के ३० प्रकृतिक उदयस्थान में ६२, ८६, ८८ और ८६ प्रकृतिक, ये चार सत्तास्थान होते हैं। इस प्रकार २८ प्रकृतिक बंधस्थान में १६ सत्तास्थान होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only. www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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