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भंग क्रम बंधस्थान
१३६४५
आगामी भवप्रायोग्य
बंधक
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षष्ठ कर्मग्रन्थ
अपर्याप्त एकेन्द्रिय प्रायोग्य ४
तिर्यंच, मनुष्य ४
एकेन्द्रिय २०, द्वीन्द्रिय १, त्रीन्द्रिय १, चतुरिन्द्रिय १, तिर्यंच, मनुष्य २५, देव ८ पंचेन्द्रिय तिर्यंच १, मनुष्य १ पर्याप्त एकेन्द्रिय प्रायोग्य १६
तिर्यच, मनुष्य व देव १६ देवगति प्रायोग्य ८, नरकंगति प्रायोग्य १
पंचेन्द्रिय तिर्यच, मनुष्य ६
६
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द्वीन्द्रिय ८, त्रीन्द्रिय ८, च. ८, पं० ति. ४६०८, मनुष्य तिर्यंच ६२४०, मनुष्य ६२४८, ४६०८, देव ८
देव ६२१६, ना. ६२१६
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द्वी. ८, त्री. ८, च. ८, पं. ति. ४६०८, मनुष्य ८, देव १ तिर्यंच ४६३२, मनुष्य ४६३३
देव ४६१६, ना. ४६१६
१
देव प्रायोग्य १
मनुष्य १ मनुष्य १
१
अप्रायोग्य १
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