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________________ कर्मग्रन्थ भाग ६ के प्रकाशन सहयोगी गुरुभक्त उदारमना सेठ श्री पुखराजजी राठौड मानव-जीवन गुलाब का एक सुन्दर फूल है । यह फूल उपवन में खिलता है तो उपवन की शोभा बढ़ती है, आस-पास का वातावरण भी सुगन्धित / सुरभित रहता है । गुलाब सुगन्ध, शीतलता और सुन्दरता का प्रतीक है । मानव-जीवन भी सृष्टि का गुलाब है । मानव अपने सद्गुणों की सुन्दरता से सबका मन मोह लेता है, विनम्रता, सेवा आदि सुगन्ध से सभी का हृदय आनन्दित कर देता है और सत्य - शील- सन्तोष की शीतलता से न केवल अपना जीवन आनन्दमय बनाता है, दूसरों को भी आनन्द व शान्ति प्रदान करता है । राजस्थान में सवराड ( मारवाड़) निवासी श्रीमान पुखराज जी सा. राठौड का जीवन भी गुलाब की तरह सद्गुणों की सौरभ से महकता, मुस्कराता जीवन है । आप धर्म को जीवन का आधार मान कर सदा ही शुभ कार्यों में प्रवृत्त रहे । स्व० गुरुदेव श्री मरुधर केसरी मिश्रीमल जी महाराज के प्रति आपकी अनन्य आस्था थी । आप पर गुरुदेवश्री की महती कृपा रही है । आपके सुपुत्र - श्रीमान् भंवरलाल जी, मोतीलाल जी, श्री केवलचन्दजी आदि सभी परिवार पिताश्री के धार्मिक एवं समाजसेवामय संस्कारों से प्रभावित हैं । मद्रास, बम्बई एवं सिकन्दराबाद में आदर्श कैमीकल नाम से आपकी तीन फर्म व्यावसायरत हैं । ( 2 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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