SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १६ ) आत्मा का सम्बन्ध प्रवाह की दृष्टि से अनादि है। परन्तु यहाँ यह जानना चाहिए कि कर्म और आत्मा का सम्बन्ध स्वर्णमृत्तिका की तरह अनादि-सान्त है। जैसे अग्नि के ताप से मृत्तिका को गलाकर स्वर्ण को विशुद्ध किया जा सकता है, वैसे ही शुभ अनुष्ठानों से कर्म के अनादि सम्बन्ध को तोड़कर आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है । कर्मबन्ध को प्रक्रिया आत्मा के साथ कर्मबन्ध की प्रक्रिया चार प्रकार की है-१प्रकृति-बन्ध, २-स्थितिबन्ध, ३-अनुभागबन्ध, ४-प्रदेशबन्ध । ग्रहण के समय कर्मपुद्गल एकरूप होते हैं । किन्तु बन्धकाल में उनमें आत्मा के ज्ञान, दर्शन आदि भिन्न-भिन्न गुणों को रोकने का भिन्नभिन्न स्वभाव हो जाता है । इसे प्रकृतिबन्ध कहते हैं। उनमें समय की मर्यादा का निर्धारण होना स्थितिबन्ध है । आत्मपरिणामों की तीव्रता और मंदता के अनुरूप कर्मबन्धन में तीव्र रस और मंद रस का होना अनुभाग बन्ध कहलाता है और कर्म पुद्गलों का आत्मप्रदेशों के साथ एकीभाव या कर्मप्रदेशों की संख्या का निर्धारण होना प्रदेशबन्ध है। प्रथम कर्मग्रन्थ में मोदक के दृष्टान्त द्वारा कर्मबन्ध के इन चारों प्रकारों को बहुत ही सुन्दर रीति से स्पष्ट किया गया है । जैसे मोदक पित्तनाशक है या कफनाशक है, यह उसके स्वभाव पर निर्भर है, वह मोदक कितने काल तक अपने स्वभाव रूप में बना रहेगा, यह उसकी स्थिति है । उसकी मधुरता या कटुता का तारतम्य रस पर अवलम्बित है और मोदक का वजन कितना है, यह उसके परमाणुओं पर निर्भर है । इस प्रकार मोदक का यह रूपक कर्मबन्धन की प्रक्रिया का यथार्थ निर्देशन कर देता है। उक्त प्रकृतिबन्ध आदि बन्ध के चार प्रकारों में से आत्मा को योग शक्ति प्रकृति और प्रदेशबन्ध की कारण है और स्थिति एवं अनुभाग बन्ध के कारण काषायिक परिणाम हैं । कर्मबन्धन दो तरह का होता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001896
Book TitleKarmagrantha Part 5 Shatak
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy