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________________ चौथा कर्मग्रन्थ पणचउतिदुएगिंदी, थोवा तिन्निअहिया अणंतगुणा। तस थोव असंखग्गी, भूजलानिल अहिय वण णंता।। ३८।। मणवयणकायजोगा, थोवा अस्संखगुण अणंतगुणा। पुरिसा थोवा इत्थी, संखगुणाणंतगुण कीवा।।३९।। माणी कोही माई, लोही अहिय मणनाणिणो थोवा। ओहि असंखा मइसुय, अहियसम असंख विन्भंगा।।४।। केवलिणो णंतगुणा, मइसुयअन्नाणि णंतगुण तुल्ला। सुहुमा थोवा परिहा-र संख अहखाय संखगुणा।।४१।। छेयसमईय संखा, देस असंखगुण णंतगुण अजया। थोवअसंखदुणंता, ओहिनयणकेवलअचक्खू।।४२।। पच्छाणुपुव्यि लेसा, थोवा दो संख णंत दो अहिया। अभवियर थोवणंता, सासण थोवोवसम संखा।।४३।। मीसा संखा वेयग, असंखगुण खइयमिच्छ दु अणंता। संनियर थोव णंता,-णहार थोवेयर असंखा।।४४।। सव्व जियठाण मिच्छे, सग सासणि पण अपज्ज सन्निदुगं। संमे सन्नी दुविहो, सेसेसुं संनिपज्जत्तो।।४५।। मिच्छदुगअजइ जोगा,-हारदुगुणा अपुव्वपणगे उ। मणवइ उरलंसविउ,-व्व मीसि सविउव्वद्ग देसे।।४६।। साहारदुग पमत्ते, ते विउवाहारमीस विणु इयरे। कम्मुरलदुगंताइम,-मणवयण सयोगि न अजोगी।।४७।। तिअनाणदुदंसाइम,-दुगे अजइ देसि नाणदंसतिगं। ते मीसि मीसा समणा, जयाइ केवलदु अंतद्गे।।४८।। सासणभावे नाणं, विउव्वगाहारगे उरलमिस्सं। नेगिंदिसु सासाणो, नेहाहिगयं सुयमयं पि।।४९।। छसु सव्वा तेउतिगं, इगि छसु सुक्का अयोगि अल्लेसा। बंधस्स मिच्छ अविरइ,-कसायजोगत्ति चउ हेऊ।।५०।। Jain Education International For Private & Personal Use Only For Privi www.jainelibrary.org
SR No.001895
Book TitleKarmagrantha Part 4 Shadshitik
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
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