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________________ परिशिष्ट कर्मग्रन्थ भाग-१ २०३ अवधिज्ञान की उत्पत्ति आत्मा के उन्हीं प्रदेशों से होती है जो कि शंख आदि-शुभ-चिह्न अङ्गों में वर्तमान होते हैं, तथा मन:पर्यायज्ञान की उत्पत्ति आत्मा के उन प्रदेशों से होती है जिनका कि सम्बन्ध द्रव्यमन के साथ है-अर्थात् द्रव्यमन का स्थान हृदय ही है इसलिये हृदय-भाग में स्थित आत्मा के प्रदेशों में ही मन:पर्यायज्ञान का क्षयोपशम है; परन्तु शंख आदि शुभ चिह्नों का सम्भव सभी अङ्गों में हो सकता है इस कारण अवधिज्ञान के क्षयोपशम की योग्यता, किसी खास अङ्ग में वर्तमान आत्मप्रदेशों में ही नहीं मानी जा सकती; यथा सव्वंगअंगसंभवचिण्हादुप्पज्जदे जहा ओही। मणपज्जवं च दव्वमणादो उपज्जदेणियमा ।। (जीवकाण्ड-गा. ४४१) द्रव्यमन के सम्बन्ध में भी जो कल्पना दिगम्बर-सम्प्रदाय में है वह श्वेताम्बर-सम्प्रदाय में नहीं; वह इस प्रकार है___द्रव्यमन, हृदय से ही है उसका आकार आठ पत्र वाले कमल का-सा है। वह मनोवर्गणा के स्कन्धों से बनता है उसके बनने में अंतरंग कारण अङ्गोपाङ्गनामकर्म का उदय है; यथाहिदि होदिह दव्वमणं वियसियअट्ठच्छदारविंदंवा । अंगोवंगुदयादो मणवग्गणखंघदो णियमा ।। (जीवकाण्ड-गा. ४४२) इस ग्रन्थ की १२वी गाथा में स्त्यानगृद्धि निद्रा का स्वरूप कहा गया है। उसमें जो यह कहा है कि-'स्त्यानगृद्धि निद्रा के समय, वासुदेव जितना बल प्रगट होता है, वह बऋषभानाराचसंहनन की अपेक्षा से जानना। अन्य संहनन वालों को उस निद्रा के समय, वर्तमान युवकों के बल से आठ गुना बल होता है'-यह अभिप्राय कर्मग्रन्थ-वृत्ति आदि का है। जीतकल्प-वृत्ति में तो इतना और भी विशेष है कि 'वह निद्रा, प्रथमसंहनन के सिवाय अन्य संहनन वालों को होती ही नहीं और जिसको होने का सम्भव है वह भी उस निद्रा के अभाव में अन्य मनुष्यों से तीन चार गुना अधिक बल रखता है'-(देखो, लोकप्रकाश स. १० श्लो. १५०) ___मिथ्यात्वमोहनीय के तीन पुंजों की समानता छाछ से शोधे हुये शुद्ध, अशुद्ध और अर्धविशुद्ध कोदों के साथ, की गई है। परन्तु गोम्मटसार में इन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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