SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 267
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९६ कर्मग्रन्थभाग-३ प्रकृति-बंध का विचार किया है जो इस प्रकरण में भी आता है। अतएव इस प्रकरण में जगह-जगह कह दिया है कि अमुक मार्गणा का बंधस्वामित्व बंधाधिकार के समान है। इस गाथा में जैसे लेश्याओं में गुणस्थानों का कथन, बंध स्वामित्व से अलग किया है वैसे अन्य मार्गणाओं में गुणस्थानों का कथन, बंधस्वामित्व के कथन से अलग इस प्रकरण में कहीं नहीं किया है। इसका कारण इतना ही है कि अन्य मार्गणाओं में तो जितने-जितने गुणस्थान चौथे कर्मग्रन्थ में दिखाये गये हैं, उनमें कोई मत भेद नहीं है पर लेश्या के सम्बन्ध में ऐसा नहीं है। * चौथे कर्मग्रन्थ के मतानुसार कृष्ण आदि तीन लेश्याओं में ६ गुणस्थान हैं, परन्तु *इस तीसरे कर्मग्रन्थ के मतानुसार उनमें ४ ही गुणस्थान माने जाते हैं। अतएव उनमें बंध-स्वामित्व भी चार गुणस्थानों को लेकर ही वर्णन किया गया है।।२४।। इति बन्य-स्वामित्व नामक तीसरा कर्मग्रन्थ। १. यथा— 'अस्सत्रिसु पढमदुगं, पढमतिलेसासु छच्च दुसु सत्ता' अर्थात् असंज्ञी में पहले दो गुणस्थान हैं, कृष्ण आदि पहली तीन लेश्याओं में छ: और तेज: तथा पद्म लेश्याओं में सात गुणस्थान हैं। (चतुर्थ कर्मग्रन्थ.गा. २३) २. कृष्ण आदि तीन लेश्याओं में ४ गुणस्थान हैं यह मत, ‘पंचसंग्रह' तथा 'प्राचीन बन्ध स्वामित्व' के अनुसार है'छल्लेस्सा जीव सम्भोति' (पंचसंग्रह १-३०) 'छञ्चउसु तिष्णि तीसुं, छएहं सुक्का अजोगी अलेस्सा' (प्राचीन बन्धस्ताभित्व. गा. ४०) यही मत, गोम्मटसार को भी मान्य है'थावरकायप्पहुदी, अविरदसम्मोत्ति असुहतिहलेस्सा। सएणीदो अपमत्तो, जाव दु सुहतिण्णिलेस्साओ।।' (जीव.गा. ६९१) अर्थात् पहली तीन अशुभ लेश्याएँ स्थावरकाय से लेकर चतुर्थ गुणस्थान-पर्यन्त होती हैं और अन्त की तीन शुभ लेश्याएँ संज्ञी मिथ्वादृष्टि से लेकर अप्रमत्त-पर्यन्त होती हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy