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श्रीमद्देवेन्द्रसूरि-विरचित कर्मविपाक अर्थात् कर्मग्रन्थ
(प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय भाग)
हिन्दी अनुवाद पं० सुखलालजी संघवी
ज्ञानावरण
दर्शनावरण
अन्तराय
वेदनीय
(कर्म चक्र
गोत्र
मोहनीय
नाम
आयु
पार्श्वनाथ
वाराणसी
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी