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________________ वक्तव्य हिंदी नाट्यदर्पण नामक यह पुस्तक श्री रामचन्द्र-गुणचन्द्र विरचित नाट्यदर्पण की हिंदी व्याख्या प्रस्तुत करती है जिसका भारत के सभी विश्वविद्यालयों में प्रयोग हो रहा है। इस ग्रंथ के मूल रचनाकार हेमचन्द्र के शिष्य रामचन्द्र हैं, किंतु इसकी रचना में उनके सहपाठी गुणचन्द्र का भी योगदान होने से उसे दोनों की सम्मिलित कृति माना जाता है। यह ग्रंथ भरतमनि के 'नाट्यशास्त्र' के आधार पर लिखा गया है, किंत फिर भी लेखक-द्वय ने कई स्थलों पर भरतमनि से अपना मतभेद व्यक्त करते हुए अनेक मौलिक प्रस्थापनाएँ भी प्रस्तुत की हैं। हम ग्रंथ के संदर्भ में एक अन्य दिलचस्प तथ्य यह भी कहा जाता है कि गणचन्द्र ने इसे धनंजयकृत 'दशरूपक' की प्रतिद्वंद्विता में लिखा था। यह पुस्तक पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा प्रकाशित की गई थी, परंतु कतिपय कारणों से इसका पनप्रकाशन संभव नहीं हो पाया। पस्तक की माँग को देखते हए हिंदी विभाग ने इसके प्रकाशन का अधिकार निदेशालय को दे दिया है, जिसके लिए निदेशालय हिंदी विभाग का आभारी है। निदेशालय ने पुस्तक को शीघ्र उपलब्ध कराने की दृष्टि से इसका केवल पुनर्मुद्रण कराया है। आशा है इससे छात्रों व अध्यापकों की समस्या का निराकरण होगा। निदेशालय हिंदी विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर तारक नाथ बाली का आभारी है जिन्होंने हिंदी विभाग की चार पुस्तकों के प्रकाशनाधिकार निदेशालय को देने का निर्णय लिया। जगदीश चन्द्र मना निदेशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001892
Book TitleNatyadarpan Hindi
Original Sutra AuthorRamchandra Gunchandra
AuthorDashrath Oza, Satyadev Chaudhary
PublisherHindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi
Publication Year1990
Total Pages554
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size9 MB
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