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________________ १३४ ] নাহয় [ का० ४६, सू०६% सागरिका--[ सासूयम् ] सुसंगदे ! कस्स कए अहं आगदा ? [सुसंगते ! कस्य कृते अहमागता ? इति संस्कृतम] । सुसंगता---अयि अप्पसंकिदे ! णं चित्तफल हयस्स, ता गिराह एदं।" इति । [अयि आत्मशङ्किते ! ननु चित्रफलकस्य । तद् गृहाणैनम् । इति संस्कृतम्] । एता विदूषक-सुसङ्गत या राज-सागरिकाकोडार्थ हासोक्तयः । अनेकशोऽप्येकमेवाङ्ग निबद्धथत इति त्रिधोदाहृतम् । यथा वा नलविलासे। “विदूषकः-- [लम्बम्तनीं विलोक्य सभय कम्पम् ] भो रायं अहं एदाउ हाणा उहिस्सं । [भो राजन् ! अहमेतस्मात् स्थानादुत्थास्यामि । इति संस्कृतम्] । राजा-किमिति । विदूषकः--जइ एसा थूलमहिसी कडिअडं नचाती ममोरि पडेदि, ता धुवं मं मारेदि॥ [यद्येषा स्थूलमहिषी कटितटं नर्तयन्ती ममोपरि पतेत , तथा ध्रुवं मां मारयेत् । इति संस्कृतम्] ।” तथा-- "राजा-लम्बस्तानि इदमासनमास्यताम् । विदूषकः-मोदी लंबत्थरणीए दुलं खु एदं पासणं । ता तुम साबहाणाए उवविसिदव्वं । [भवति ! लम्बस्तन्यै दुर्बलं खल्वेतदासनम् । तत् त्वया सावधानयोपवेश्यम । इति संस्कृतम]।" सागरिका-[क्रोध-पूर्वक सुसङ्गते ! मैं किसके लिए आई हूँ। सुसङ्गता-अरे अपने प्राप शङ्का कर लेने वाली, चित्रफलके लिए [माई हो न इस [चित्र] को पकड़ो [यह तुम्हारे सामने ही रखा है।" ये सब विदूषक तथा सुसङ्गताको [क्रमशः] राजा तथा सागरिकाके मनोरञ्जनके लिए हास्योक्तियाँ हैं [अत: 'नर्म' नामक' अङ्गके उदाहरण हैं] एक ही अङ्गका अनेक बार भी प्रयोग किया जा सकता है । इसके लिए तीन उदाहरण दिए हैं। अथवा जैसे नलविलासमें "विदूषक-[लम्बस्तनीको देखकर भयसे कांपते हुए] हे राजन् ! मैं तो इस स्थानसे उठता हूँ। राजा-क्यों किसलिए [उठते हो ? विदूषक-यदि यह मोटी भैस कमर नचाती हुई मेरे ऊपर गिर पड़ी तो मुझको मार ही रालेगी।" तथा"गजा--हे लम्बस्तनि ! इस प्रासन [कुर्सी पर बैठो। विदूषक---भगवति ! लम्बस्तनोके लिए यह प्रासन दुर्बल है इसलिए तुम इसपर साब. . धान होकर बैठना। ये मब हाम्योक्तियां नर्म नामक अङ्गके उदाहरण रूप में प्रस्तुत की गई हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001892
Book TitleNatyadarpan Hindi
Original Sutra AuthorRamchandra Gunchandra
AuthorDashrath Oza, Satyadev Chaudhary
PublisherHindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi
Publication Year1990
Total Pages554
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size9 MB
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