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३५१ ३५१ ३५१ ३॥ ३५४ ३५८
(छ) विषय रसादिकों में पारस्परिक कार्य-कारणभाव अनुभाव
(१) वेपथु (२) स्तम्भ (३) रोमाञ्च (४) स्वरभेद (१) (६) मूर्छा (७) स्वेद
(क) विवर्णता अभिनय
(१) वाचिक (२) प्राङ्गिक (३) सात्त्विक (४) प्राहार्य
चतुर्थ विवेक नान्दी घ्रपाका लक्षण
(१) प्रावेशिकी ध्र वा (२) नैष्कामिकी ध्रुवा (३) आक्षेपिकी घ्र वा (४) प्रासादिकी ध्रुवा (५) मान्तरी ध्र वा के पात्रों की प्रकृति के भेद (१) उत्तम प्रकृति-पुरुष (२) मध्यम प्रकृति-पुरुष (३) नीच प्रकृति-पुरुष (४) उत्तमा-स्त्री (५) मध्यमा-स्त्री
(६) नीच-स्त्री नीच प्रकृति वाले नायक मुख्य नायक का लक्षण मुख्य नायक के गुण
(१) तेज (२) विलास
(३) माधुर्य Jain Education International
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