________________
विषय
(६) निर्वहरण सन्धि का द्वितीय लक्षण
मुखसन्धि के द्वादश श्रङ्ग
(१) उपक्षेप
(२) परिकर
(३) परिन्यास
(४) समाधान
(५) उभेद
(६) करण
(७)
( 5 )
विलोमन
भेदन
( ९ )
प्रापण
(१०) युक्ति (११) विधान
(१२) परिभावना
प्रतिख सन्धि के तेरह भङ्ग
(१) विलास
(२) धूनन
(३) रोध
( ४ )
सान्त्वन (५) वर्ण संहृति
(६) नमं
(७) नर्मद्युति
( 5 )
ताप
(६)
पुष्प (१०) प्रगमन
(११) वज्र
(१२) उपन्यास (१३) अनुसर्पण गर्भ सन्धि के तेरह अंग
(१) संग्रह
( ख )
(२) रूप
(३) अनुमान
(४) प्रार्थना
(५) उदाहृति (६) क्रम
(७) उग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
SUCK
...
BOTA
9001
****
....
1904
...
...
630
...
1...
पृष्ठ
१०३
१०५
१०८
१०६
२०६
१११
११२
११४
११५
११६
११७
११६
१२०
१२२
१२३
१२४
१२७
१२८
१३०
१३१
१३३
१३५
१३६
१३८
१४०
१४१
१४३
१४४
२४५
१४५
१४७
१४८
१४६
१५०
१५१
१५२
www.jainelibrary.org