SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निवेदन. आजी बे वर्ष पहेला अमे विद्वानोनी सेवामां वसुदेवहिंडी प्रथमखंडनो प्रथम विभाग तैयार करी हाजर कर्यो हतो. आजे तेनो ज बीजो विभाग अमे रजु करीए छीए. आ विभाग अमे आजथी एक वर्ष पहेलां पण विद्वानो समक्ष घरी शकीए तेम हतुं. तेम छतां आ विभागने परिशिष्टो प्रस्तावना शब्दकोष आदिथी अलंकृत करी विद्वानोनी सेवामां अर्पवानो अमारो संकल्प होवाथी अमे आ विभागने रोकी राख्यो हतो. परंतु प्रस्तावना आदि बधुं य आ विभागमां एकी साथे आपवाथी आ विभाग घणो मोटो थई जाय तेम होवाथी अने प्रस्तावना आदि तैयार करवामाटे अमे धारेल हतो ते करतां य हजु वधारे वखतनी आवश्यकता होवाथी त्यांसुधी आ विभागने पड्यो राखवो ए अमने उचित न लागवाथी छेवटे छ परिशिष्टो साथेनो आ बीजो विभाग एटले उपलब्ध वसुदेवहिंडीनो प्राप्त थतो अपूर्ण प्रथमखंड पर्यंतनो अंश अमे विद्वानोना करकमलमां अर्पण करीए छीए. अने साथै साथै अमे इच्छीए छीए के प्रत्येक विद्वान अमने एवो आशीर्वाद आपे जेथी अमे प्रस्तावना आदि तैयार करी आ ग्रंथना तृतीय विभागने पण सत्वर प्रकाशमां मूकी शकीए... - परिशिष्टो आ विभागने छेडे अमे छ परिशिष्टो आप्यां छे. ते आ प्रमाणे छे – परिशिष्ट पहेलामां धम्मिल्ल अने वसुदेवनी पत्नीओनो परिचय छे. बीजा परिशिष्टमां वसुदेवहिंडीप्रथमखंडमां आतां पद्योनो अनुक्रम आपवामां आव्यो छे. त्रीजा परिशिष्टमां विशेष नामोनो अनुक्रम आप्यो छे. चोथा परिशिष्टमां विशेषनामोनो विभागवार अनुक्रम आपवामां आव्यो छे. पांचमा परिशिष्टमां प्रथमखंडमां आवतां कथानको चरितो अने उदाहरणोनो अनुक्रम आपवामां आव्यो छे. छठा परिशिष्टमां वसुदेवदिंडी प्रथमखंडमां आवतां चार्चिक आदि विशिष्ट स्थळोनी नोंध आपवामां आवी छे. आ धांय परिशिष्टोने लगतो विशेष परिचय, प्रस्तावना, विषयानुक्रम, कोष आदि बधुं य अमे श्रीजा विभागमां आपीशुं. प्रस्तुत विभागना संशोधनमां अमे गुरु-शिष्योए घणी ज सावधानी राखी छे. तेम छतां अमे स्खलनाओ करी ज हशे तेमाटे अमे क्षमा प्रार्थनापूर्वक सौने विनवीए छीए के जे महाशयो अमने अमारी ते ते स्खलनाओ सूचवशे तेने अमे त्रीजा विभागमां सादर योग्य स्थान आपवा जरा य संकोच नहि राखीए. Jain Education International निवेदक प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजीना शिष्य-प्रशिष्यो मुनि चतुरविजय - पुण्यविजय. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001889
Book TitleVasudevhindi Part 2
Original Sutra AuthorSanghdas Gani
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1931
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy