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________________ ६०८ ] सेतुबन्धम् [ चतुर्दश विमला - ( राम-लक्ष्मण के बँध जाने के कारण हुई प्रसन्नता से ) मेघनाद आकाश में शब्द कर रहा था, कपिसेना हतोत्साह न हो उस मेघनाथ को खोजने के लिये घूम रही थी और राम नागपाश से बँधने पर भी मेघनाद को देखने में नेत्र लगाये पराङ्मुखचित्त नहीं हो रहे थे ॥२३॥ अथ सर्पाणामङ्गेषु प्रसरणमाह रोसाणलपज्जलिअं जलन्तवडवामुहाणल पडिच्छन्दम् । अङ्गेसु लद्धपसरा हिअअं से णवर परिहरन्ति भुङ्गा ||२४|| [ रोषानलप्रज्वलितं ज्वलद्वडवामुखानलप्रतिच्छन्दम् । अङ्गेषु लब्धप्रसरा हृदयमस्य केवलं परिहरन्ति भुजङ्गाः ॥ ] अस्य रामस्याङ्गेषु लब्धप्रसरा व्याप्ता भुजङ्गा रोषानलेन प्रज्वलितं यतस्तत एव केवलं हृदयं परिहरन्ति । तापभीत्या तत्र परं न गच्छन्तीत्यर्थः । किंभूतम् । ज्वलतो वडवामुखानलस्य प्रतिच्छन्दं समम् ॥२४॥ विमला - वे भुजङ्गरूप बाण राम के सभी अङ्गों पर तो व्याप्त हुये किन्तु हृदय पर नहीं गये, क्योंकि वह रोषाग्नि से प्रज्वलित होने के कारण ज्वलित वडवानल के तुल्य हो रहा था || २४|| अथ तद्भुजानामवस्थामाह ताण भुअङ्गपरिगआ दुबख पहुव्यन्तविअडभोगावेढा । जाओ थिरणिक्कम्पा मलअन डुप्पण्णचन्दणदुम व्व भुआ ॥ २५ ॥ [ तयोर्भुजङ्गपरिगता दुःखप्रभवद्विकटभोगावेष्टाः । जाताः स्थिरनिष्कम्पा मलयतटोत्पन्नचन्दनद्रुमा इव भुजाः ॥ ] तयोर्भुजा भुजङ्गः परिगताः सन्तः स्थिरनिष्कम्पा जाता: । के इव । मलयतटोत्पन्नचन्दनवृक्षा इव । ते सर्पवेष्टिताः स्थिरनिष्कम्पा एवेत्याशयः । किंभूताः । दुःखेन प्रभवद्विकटभोगैरावेष्टनं येषां ते । महत्त्वाज्झटिति वेष्टयितुं न पारयन्ती - त्यर्थः । चन्दनमप्येवमेवेति भावः || २५।। विमला - ( महान् होने के कारण ) बड़ी कठिनाई के साथ भुजङ्गबाणों द्वारा शरीर को आवेष्टित किये जाते ही राम के भुज उस समय भुजङ्गवेष्टित मलय-तटोत्पन्न चन्दन वृक्ष के समान स्थिर एवं निष्कम्प हो गये ||२५|| अथ तयोरवस्थामाह तह पडिवण्णधणुसरा सरणिभिज्जन्तणिच्चलभु अप्फलिहा । द ट्ठो ठमेत्तल विखप्रणिष्फलरोसलहुआ कआ रहुतणना १. ' प्रतरण' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only ॥२६॥ www.jainelibrary.org
SR No.001887
Book TitleSetubandhmahakavyam
Original Sutra AuthorPravarsen
AuthorRamnath Tripathi Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year2002
Total Pages738
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size13 MB
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