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________________ विषय त्रिजटा का पुनः सीता को समझाना सीता का आश्वस्त होना द्वादश आश्वास [ १६ ] पृष्ठ | विषय ४६१ ४६६ प्रभात-वर्णन ५०२ रामोत्थान और युद्ध की तैयारी५१४ ५१७ ५२२ कपिसैन्य का प्रयाण रावणोत्थान और राक्षसों का युद्धार्थ निकलना वानरों का लङ्का को घेरना ५३४ राक्षससेना का सम्मुख पहुँचना ५४१ दोनों सेनाओं का द्वन्द्वयुद्ध प्रारम्भ ५४६ त्रयोदश आश्वास द्वन्द्वयुद्ध वर्णन ५५० राक्षससेना का कभी भागना कभी लोटना ५८२ दोनों सेनाओं का पुनः द्वन्द्वयुद्ध ५८८ अङ्गद और इन्द्रजित् का युद्ध ५६१ इन्द्रजित् का तिरोहित होना ५६६ चतुर्दश आश्वास रावण की अप्राप्ति से खिन्न राम का निशाचरों को मारना ५६७ मेघनाद के द्वारा नागपाश से राम-लक्ष्मण का बाँधा जाना देवताओं और कपियों का निराश होना ६०४ ६११ ६१४ सुग्रीव का मेघनाद को देख कर पीछा करना निशाचरियों द्वारा सीता को राम का पतन दिखाना तथा सीता का मूर्च्छित होना संज्ञाप्राप्त राम का लक्ष्मण के प्रति विलाप ६१५ सुग्रीव के प्रति राम के वचन ६१७ सुग्रीव का प्रतिवचन ६१५ ६१८ Jain Education International अकम्पन का वध नील द्वारा प्रहस्त का वध पञ्चदश आश्वास युद्ध रावण का युद्धभूमि में आना ६३५ वानरों का पलायन ६३७ नील का वानरों के प्रति आश्वासन ६३७ ६३६ राम के बाणों से आहत रावण का भागना कुम्भकर्ण का युद्धभूमि में आना ६३९ राम के बाणों से कुम्भकर्ण वध ६४२ मेघनाद का रावण को युद्धभूमि में जाने से रोकना तथा स्वयम् आना वानरों और मेघनाद का युद्ध यज्ञ के लिए जाते हुए मेघनाद का विभीषण के परामर्श से पृष्ठ ६२७ ६२८ लक्ष्मण द्वारा वध ૪૨ रावण का युद्धभूमि में आगमन ६५१ रावण का लक्ष्मण पर शक्तिप्रहार तथा उसका उपचार राम के लिए मातलि द्वारा इन्द्र के कवच और रथ को लाकर दिया जाना राम-रावण का युद्ध रावण का वध विभीषण का विलाप ६४५ ६४६ For Private & Personal Use Only ६५४ युद्धोद्यत राम को लक्ष्मण द्वारा रोकना राम का लक्ष्मण को उत्तर ६५४ ६७२ गरुड का आगमन और राम-लक्ष्मण रावण के अन्तिम संस्कार के लिए राम से विभीषण का अनुमति माँगना मातलि को रथ इन्द्र के पास ले जाने के लिए राम की आज्ञा ६७४ अग्निविशुद्धा सीता को लेकर ६२४ / राम का अयोध्यापुरी में पहुँचना ६७४ ६२२ का नागपाश से मुक्त होना धूम्राक्ष और हनुमान् का तथा धूम्राक्ष-वध ६५७ ६५६ ६६१ ६६६ ६७० www.jainelibrary.org
SR No.001887
Book TitleSetubandhmahakavyam
Original Sutra AuthorPravarsen
AuthorRamnath Tripathi Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year2002
Total Pages738
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size13 MB
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