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* प्रस्तावना *
८४ वर्ष पहले की बात है जब कि बडनगर निवासी खण्डेलवाल ज्ञातीय पं० उदयलालजी कासलीवाल जब बनारस (काशी) में श्री स्याद्वाद महाविद्यालयमें संस्कृतको व धर्मकी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब आपने भद्रबाहु चरित्र और धन्यकुमार चरित्र ये दो संस्कृत ग्रन्थोंके हिन्दी अनुवाद अवकाशके समय तैयार किये थे जो बा० बद्रीप्रसाद जी जैन द्वारा उनके जैन भारती भवन द्वारा वीर सं० २४३७ में बनारससे प्रगट हुआ था, जो बिक जाने पर कई वर्षोसे मिलते ही नहीं थे अतः हमने श्री धन्यकुमार चरित्र पांचवी बार ५ वर्ष हुए प्रगट कर दिया जो बिक चूका
और यह धन्यकुमार चरित्र भी छठ्ठी बार प्रगट किया जाता है, आशा है यह आवृत्ति भी शीघ्र ही बिक जायेगी क्योंकि यह सच्चा चरित्र बहुत ही शिक्षाप्रद है।
स्व० पं० उदयलालजी कासलीवाल जब बनारससे आकर बम्बईमें रहे थे तब आपने श्री आराधना कथाकोष ब्र नेमिदत्त विरचित संस्कृत पद्य-शास्त्र तीन भागोंका संस्कृतसे हिन्दी अनुवाद तैयार किया था जो 'जैनमित्र' जब बम्बईसे पाक्षिक प्रगट होता था तब मूल सहित बम्बईसे प्रगट होकर इसके ग्राहकोंको भेंट स्वरूप बांटे गये थे, जो आज मिलते ही नहीं हैं व उनके भी पुनः प्रकट होनेकी आवश्यकता हैं तथा आपने श्री नेमिनाथ पुराण का भी हिन्दी अनुवाद तैयार किया था जो आपके जैन साहित्य प्रचारक कार्यालय बम्बईसे प्रगट हुआ था जो भी न मिलनेसे हमने इसकी दूसरी आवृत्ति प्रकट किया जो वह 'मित्र' के ५६वें वर्षके ग्राहकोंको बांटी जा चुकी है।
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