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जानपीठ मूतिदेवी वन मन्चमाला : प्राकृत प्रथांक-२१
आचार्य हरिभद्र सूरि विरचित
समराइच्चकहा [प्राकृत मूल, संस्कृत छाया एवं हिन्दी र नुवाद सहित]
[पूर्वार्ध]
सम्पादन-अनुवाद डॉ० रमेशचन्द्र जैन
___अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, बर्द्धमान (स्नातकोत्तर) महाविद्यालय, बिजन र (उ० प्र०)
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भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
प्रथम संस्करण : १६६३ 0 मूल्य : १४० रुपये
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