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________________ तिओ सग्गो इअ भणिअ ठिअं चउब्भुअं तं पणमिअ परिसिट्ठ-पाणि- जुम्मो भअ-परिवेविर - गत्तओ स बाणो । फुड-घडिअंजलि - बंधणो भाइ ॥ ४९ ॥ जअ जअ जदुणाह दीण- रक्खा वद सइ दिक्खिअ पक्खिराअ-केदु । तुह चलण- जुअल्लिअस्स" मज्झं पसिअ दआमअ-सिंधुणो णमो दे ॥ ५० ॥ । अविणअ-कअ-गव्व- णिव्विवेअं तुमइ मए बअ जं७ किरावरुद्धं खमसु कमलणाहणाह तं हो सहअ - दआ - सरसेण माणसेणं ॥ ५१ ॥ मह गुरु पहलादओ" महप्पा तुह पअ - सम्हरणेण" लद्ध-सिद्धी | इअ जइ‍ वि मुणामि कण्हर कामं तह वि पडामि विमोह - वाउराअं ॥५२॥ इति भणित्वा स्थितं चतुर्भुजं तं भयपरिवेपनशीलगात्रः स बाणः । प्रणम्य परिशिष्टपाणियुग्मस्फुटघटिताञ्जलिबन्धनोऽभणत् ॥४९॥ जय जय यदुनाथ दीनरक्षाव्रतसदादीक्षित पक्षिराजकेतो । तव चरणयुगाश्रयाय मह्यं प्रसीद दयामृतसिन्धवे नमस्ते ॥५०॥ अविनयकृतगर्वनिर्विवेकं त्वयि मया बत यत् किलापराद्धम् । क्षमस्व कमलनाभ नाथ तद्भोः सहजदयासरसेन मानसेन ॥५१॥ मम गुरु : प्रह्लादो महात्मा तव पदसंस्मरणेन लब्धसिद्धिः । इति यद्यपि जानामि कृष्ण कामं तथाप्यपतं विमोहवागुरायाम् ॥५२॥ (७४) Also पाणिजुग्गम्. (७५) जुअळ्ळअस्स (७७) Also बअ अं. (८०) Also सम्मरणेण. Jain Education International ५३ (७८) Also किरावरज्झम् (८१ ) Also अअ जळवि For Private & Personal Use Only (७६) सीधुणो. (७९) Also पहळादयो. (८२) Also जह. www.jainelibrary.org
SR No.001879
Book TitleUsaniruddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1996
Total Pages178
LanguagePrakrit, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size8 MB
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