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________________ तिओ सग्गो अह बडु- ववुणा डुलंकिदादो” भुवणतई जणआहि अस्स चेअ । तिहि णिअ-पअ - विक्कमेहि सिग्घं अवहरिआ तुमए स्माअ णाह ॥ ३३ ॥ तिहुवण-जअ - मत्त - कत्तविज्जज्जुण- भुअ-काणण- कत्तणिद्ध-धारे । फुरिअ - सिहिणि खत्तिआण वंसो भिउवइणा तुमए हुओ" कुढारे ४२ ॥३४॥ दहरह- तणओ भवं भवंतो जणअ-सुआ-पद-पस्स-कामुआई । विहि- गहण ४‍ - लुअ- प्परोहिदाई दहवअणस्स सिराइ खंडएइ ॥३५॥ विदलिअ - करि - दंत - सुब्भमेकं णव- मिह - आवलि सामलं दुईअं । इअ तणु-जुअलं४५ वहेसि रम्मं जउसुअ संपइ णील - पीद - वासं ॥३६॥ अथ बटुवपुषा वञ्चिताद्भुवनत्रयी जनकादस्यैव । त्रिभिर्निजपदविक्रमैः शीघ्रमपहृता त्वया रमाया नाथ ॥३३॥ त्रिभुवनजयमत्तकार्तवीर्यार्जुनभुजकाननकर्तनेद्धधारे । स्फुरितशिखिनि क्षत्रियाणां वंशो भृगुपतिना त्वया हुतः कुठारे ||३४|| दशरथतनयो भवान् भवन् जनकसुतापदस्पर्शकामुकानि । विधिमहनलूनप्ररूढानि दशवदनस्य शिरांस्यखण्डयत् ॥३५॥ विदलितकरिदन्तशुभ्रमेकं नवमेघावलिश्यामलं द्वितीयम् । इति तनुयुगलं वहसि रम्यं यदुसुत संप्रति नीलपीतवासः ॥३६॥ (३९) Also दुळिक्किदादो. (४०) Also तिथीणिअपव. (४२) कुठारे. (४३) Also महण. (४४) Also णवमिवआवळि (४५) Also तणुउअळं. Jain Education International For Private & Personal Use Only ४९ ( ४१ ) Also हुको. (४६) जडसुअ. www.jainelibrary.org
SR No.001879
Book TitleUsaniruddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1996
Total Pages178
LanguagePrakrit, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size8 MB
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