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54 Satras in order. 3rd Adhyaya, 3rd Pada. 1 27 ३१ डीतः स्त्रियाम् ॥ | 17 ४७ अथवामनागहवइमणाउं २८१ 2 ३२ अदन्ताड्डा ॥
18 ४८ इतसेत्तहे २८२ 3 ३३ इदतोति ॥
| 19 ४९ पश्चात् पच्छइ २८२ 4 ३४ इदानीमेव्वहि २८०
20 ५० ततस्तदा तो २८२ 5 ३५ एव जि २८०
| 21 ५१ त्वनुसाहावन्यथासौं २६८, 6 ३६ एवमेम २८०
२८२ 7 ३७ नहि नाहि २८०
22 ५२ किं काइंकवणौ २७३ 8 ३८ प्रत्युत पच्छलिउ २८० 23 ५३ उन्नविच्छवुत्ता विषण्णवर्मो9 ३९ एवमेव एमइ २८०
ताः २६७ 10 ४० समं समाणु २८१
24 ५४ अत्खुः परस्परस्य २६८ 11 ४१ किल किर २८१
25 ५५ अन्यादृशस्याण्णाइसावराइसौ 12 ४२ पग्गिमप्राइमप्राउप्राइव प्रायशः
26 ५६ वहिल्लगाः शीघ्रादी13 ४३ दिवा दिवे २८१
नाम् ॥ 14 ४४ सह सहुँ २८१
27 ५७ हुहुरुपिग्घिगाश्शब्दचेष्टानु15 ४५ मा मं २८१
कृत्योः २८२ 16 ४६ कुतः कउकहुतिहु २८१ | 28 ५८ अनर्थका घइमादयः २८२
२८१
___1 स्त्रियां तदन्ताड्डीः ॥ ४।४३१॥ 2 आन्तान्ताड्डाः ॥ ४।४३२ ॥ 3 अस्येदे ॥ ४।४३३ ॥ 4-5-6 पश्चादेवमेवैवेदानी-प्रत्युतेतसः पच्छइ एम्वइ जि एम्वहिं पञ्चलिउ एत्तहे ॥ ४।४२० ॥ 7 किलाथवा-दिवा-सह-नहेः किराहवइ दिवे सहुँ नाहिं ॥ ४॥४१९ ॥ 8-9 पश्चादेवमेवैवेदानी-प्रत्युतेतसः पच्छइ एम्वइ जि एम्वहिं पञ्चलिउ एत्तहे ॥ ४।४२०॥ 10 एवं-परं-सम-ध्रुवं-मा-मनाक एम्ब पर समाणु ध्रुवु मं मणाउं ॥ ४।४१८ ॥ 11 किलाथवा-दिवा-सह-नहेः किराहवइ दिवे सहुँ नाहिं ॥ ४।४१९ ॥ 12 प्रायसः प्राउ-प्राइव-प्राइम्व-पग्गिम्वाः ॥ ४।४१४ ॥ 13-14 किलाथवा-दिवा-सह-नहे: किराहवइ दिवे सहुं नाहिं ॥४॥४१९ ॥ 15 एवं-परं-सम-ध्रुवं-मा-मनाक एम्व पर समाणु धूवु मं मणाउं ॥ ४।४१८ ॥ 16 कुतस कउ कहन्तिहु ॥ ४॥४१६ ॥ 17 किलाथवा-दिवा-सह-नहेः किराहवह दिवे सहुं नाहिं ॥ ४।४१९ ॥ 18-19 पश्चादेवमेवेदानी-प्रत्युतेतसः पच्छइ एम्वर जि एम्वहिं पञ्चलिउ एत्तहे ।। ४।४२० ॥ 20 ततस्तदोस्तोः ॥ ४॥४१७ ॥ 21 वान्य. थोनुः ॥ ४।४१५ ॥ and सर्वस्य साहो वा ॥ ४॥३६६ ॥ 22 किमः काई-कवणौ वा ॥ ४॥३६७ ॥ 23 विषण्णोक्त-वमनो वुन्न-वुत्त-विच्चं ॥ ४।४२१ ॥ 24 परस्परस्यादिरः ॥ ४।४०९ ॥ 25 अन्यादृशोन्नाइसावराइसौ ॥ ४।४१३ ॥ 26 शीघ्रादीनां वहिल्लादयः ॥ ४।४२२ ॥ 27 हुहुरु-घुग्घादयः शब्द-चेष्टानुकरणयोः ॥ ४॥ ४२३॥ 28 घइमादयोनर्थकाः ॥ ४।४२४ ॥
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