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________________ अजरु अमरु गुणगण अ अ मुत अप्पसरूवहँ ( सरूवइ ? ) जो अप्पा अप्पइँ जो इ अप्पा अप्पर जइ मुणहि योगसारदोहादीनां वर्णानुक्रमसूची अप्पादंसणु एक पर अप्पा दंसणु णाणु मुणि अरहंतु विसो सिद्धु असरी वि सुसरीरु मुणि अह पुणु अप्पा णवि मुणहि आउ गलइ णवि मणु इक्क उपज्जइ मरइ कु वि इच्छार हियउ तव कर हि इंददिरिंद इहु परियण णहु महुतणउ एकल इंदियर हिउ एकुलउ जइ जाइसिहि एव हि लक्खणलक्खियउ कालु अणाइ अणाइ जिउ केवलणाणसहाउ सो को सुसमाहि करउ गिहिवावार परिट्टिया घाइच कहूँ कि विलउ चउकसाय सण्णा र हिउ चउरासीलक्खहि फिरिउ छह दव्वई जे जिणकहिया जइ जरमरणकरा लियउ जइ णिम्मल अप्पा मुणइ पर० ३५ Jain Education International दोहा ९१ ६२ ८९ ३४ १२ १६ ८१ १०४ ६१ १५ ४९ ६९ १३ ६८ ६७ ८६ ७० १०६ ४ ३९ ४० १८ २ ७९ २५ ३५ ४६ ३० जइ णिम्मलु अप्पा मुणहि जइ बद्धउ मुक्कउ मुणहि जइ बीहउ चउगइगमणा जइया मणु णिग्गंधु जिय जह लोहम्मिय णियड बुह जह सलिलेण ण लिप्पियइ जहि अप्पा तहिं सयलगुण जं वडमज्झह बीउ फुडु जाम ण भावहि जीव जिणु सुमिरहु जिणु जिवाजीवहँ भेउ जो जे गवि मण्णहिं जीव जे परभाव चएवि मुणी जे सिद्धा जे सिज्झसिहि जेहउ जज्जर णरयघरु जेहउ मणु विसयहँ रमइ जेहउ सुद्ध अयासु जिय जो अप्पा सुद्धु वि जो जिण सो हउँ सो जो जिणु सो अप्पा मुणहु जो णवि जाणइ अप्पु जो तइलोयहँ झेउ जिणु जो परमप्पा सो जि हउँ जो परियाणइ अप्प परु जो परियाणइ अप्पु परु जो पाउ वि सो पाउ मुणि जो पिंड पत्थु जो समसुक्खणिलीणु बुहु जो सम्मत्तपहाण बुहु णासरिंग अब्भितरहँ णिच्छइँ लोयपमाणु मुणि निम्मलझाणपरिया For Private & Personal Use Only ३८५ दोहा ३७ ८७ ५ ७३ ७२ ९२ ८५ ७४ २७ १९ ३८ ५६ ६३ १०७ ५१ ५० ५९ ९५ 3 D W N N N U G V mo ७५ २१ ९६ २८ २२ ८२ . ७१ ९८ ९३ ९० ६० २४ 6 १ www.jainelibrary.org
SR No.001876
Book TitleParmatmaprakasha and Yogsara
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorA N Upadhye
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2000
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size13 MB
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