SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 494
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -166 : २-३७] परमप्प-पयासु ३३३ 156) जं जह थक्कउ दवु जिय तं तह जाणइ जो जि । अप्पहं केरउ भावडउ णाणु मुणिज्जहि सो जि ।। २९ ॥ 157) जाणवि मण्णवि अप्पु परु जो पर-भाउ चएइ । सो णिउ सुद्धउ भावडउ णाणिहि चरणु हवेइ ॥ ३० ॥ 158) जो भत्तउ रयणत्तयह तसु मुणि लक्खणु एउ । अप्पा मिल्लिवि गुण-णिलउ तासु वि अण्णु ण झेउ ॥ ३१ ॥ 159) जे रयणत्तउ णिम्मलउ णाणिय अप्पु भणंति । ते आराहय सिव-पयहँ णिय-अप्पा झायंति ॥ ३२ ॥ 160) अप्पा गुणमउ णिम्मलउ अणुदिणु जे झायंति । ते पर णियमे परम-मुणि लहु णिव्वाणु लहंति ।। ३३ ॥ 161) सयल-पयत्यहँ जं गहणु जीवहँ अग्गिमु होइ । वत्थु-विसेस-विवज्जियउ तं णिय-दसणु जोइ ॥ ३४ ॥ 162) दसण-पुव्यु हवेइ फुडु जं जीवहँ विण्णाणु । वत्थु-विसेस मुणंतु जिय तं मुणि अविचलु णाणु ॥ ३५ ॥ 163) दुक्खु वि सुक्खु सहंतु जिय णाणिउ झाण-णिलीणु । कम्महँ णिज्जर-हेउ तउ वुच्चइ संग-विहीणु ॥ ३६ ॥ 164) कायकिलेसे पर तणु झिज्जइ विणु उवसमेण कसाउ ण खिज्जइ । ण करहि इंदिय मणह णिवारणु उग्गतवो वि ण मोक्खह कारणु ॥ ३६*१ ॥ 165) अप्प-सहावे जासु रइ णिचुववासउ तासु । बाहिर-दव्वे जासु रइ भुक्खुमारि तासु ।। ३६*२ ॥ 166) बिण्णि विजेण सहंतु मुणि मणि सम-भाउ करेइ । पुण्णहँ पावहँ तेण जिय संवर-हेउ हवेइ ॥ ३७ ॥ __156) TKM जो and सो for 5 and तं, मुणिजइ. 157) TKM मण्णई; c चरण. 158) TKM मेल्लवि, तासु जि. 159) TKM रयणत्तयणिम्मलउ, णिउ अप्पा 160) TKM जे अणुदिणु, ते परु for ते पर; cणिव्वाणि. 161) जीवहु ; TKM सयळविसेसु. 162) Bc दंसणु पुव्वु ; c मुणंति. 163) c दुक्ख वि सुक्ख ; TKM सोक्खु, झाणे, बुज्झइ for वुच्चइ. 164) Only in P; किलेसं. 165) Only in P. 166) TKM बेण्णि...सहंति, मणे; c तेणि for तेण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001876
Book TitleParmatmaprakasha and Yogsara
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorA N Upadhye
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2000
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy