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-दोहा १०८]
परमात्मप्रकाशः अथ
णाणिय णाणिउ णाणिएण णाणिउँ जा ण मुणेहि । ता अण्णाणिं णाणमउँ किं पर बंभु लहेहि ॥ १०८ ॥ ज्ञानिन् ज्ञानी ज्ञानिना ज्ञानिनं यावत् न जानासि ।।
तावद् अज्ञानेन ज्ञानमयं किं परं ब्रह्म लभसे ॥ १०८ ॥ णाणिय हे ज्ञानिन् णाणिउ ज्ञानी निजात्मा गाणिएण ज्ञानिना निजात्मना करणभूतेन । कथंभूतो निजात्मा । णाणिउ ज्ञानी ज्ञानलक्षणः तमित्थंभूतमात्मानं जा ण मुणेहि यावत्कालं न जानासि ता अण्णाणिं णाणमउं तावत्कालमज्ञानेन मिथ्यावरागादिविकल्पजालेन ज्ञानमयम् । किं पर बंभु लहेहि कि परमुत्कृष्टं ब्रह्मस्वभावं लभसे किं तु नैवेति । तद्यथा । यावत्कालमात्मा कर्ता आत्मानं कर्मतापन्नम् आत्मना करणभूतेन आत्मने निमित्तं आत्मनः सकाशात् आत्मनि स्थितं समस्तरागादिविकल्पनालं मुक्त्वा न जानासि तावत्कालं परमब्रह्मशब्दवाच्यं निर्दोषिपरमात्मानं किं लभसे नैवेति भावार्थः॥ १०८ ॥ ____ अथानन्तरं सूत्रचतुष्टयेनान्तरस्थले परलोकशब्दव्युत्पत्त्या परलोकशब्दवाच्यं परमात्मानं कथयति
जोइज्जइ तिं बंभु पर जाणिजइ तिं सोइ ।
भु मुणेविणु जेण लहु गम्मिबइ परलोइ ॥ १०९ ।। दृश्यते तेन ब्रह्मा परः ज्ञायते तेन स एव ।
ब्रह्म मत्वा येन लघु गम्यते परलोके ॥ १०९ ॥ जोइज्जइ दृश्यते तिं तेन पुरुषेण तेन कारणेन वा । कोऽसौ दृश्यते । बंभु परु ब्रह्मशब्दवाच्यः शुद्धात्मा। कथंभूतः । परः उत्कृष्टः । अथवा पर इति पाठे नियमेन । न केवलं
आगे ज्ञानसे ही परब्रह्मकी प्राप्ति होती है, ऐसा कहते हैं-ज्ञानिन] हे ज्ञानी, [ज्ञानी] ज्ञानवान् अपना आत्मा [ज्ञानिना] सम्यग्ज्ञान करके [ज्ञानिनं] ज्ञान लक्षणवाले आत्माको [यावत्] जब तक [न] नहीं [जानासि] जानता, [तावत्] तब तक [अज्ञानेन] अज्ञानी होनेसे [ज्ञानमयं] ज्ञानमय [परं ब्रह्म] अपने स्वरूपको [किं लभसे] क्या पा सकता है ? कभी नहीं पा सकता । यदि कोई आत्माको पाता है, तो ज्ञानसे ही पा सकता है ।। भावार्थ-जब तक यह जीव अपनेको आपकर अपनी प्राप्तिके लिये आपसे अपनेमें तिष्ठना नहीं जान ले, तब तक निर्दोष शुद्ध परमात्मा सिद्धपरमेष्ठीको क्या पा सकता है ? कभी नहीं पा सकता । जो आत्माको जानता है, वही परमात्माको जानता है ॥१०८।।
इस प्रकार प्रथम महास्थलमें चार दोहोंमें अंतरस्थलमें ज्ञानका व्याख्यान किया । आगे चार सूत्रोंमें अंतरस्थलमें परलोक शब्दकी व्युत्पत्तिकर परलोक शब्दसे परमात्माको ही कहते हैं-तेन] उस कारणसे उसी पुरुषसे [परः ब्रह्मा] शुद्धात्मा नियमसे [दृश्यते] देखा जाता है, [तेन] उसी
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