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________________ १३६ विषय आत्माधीन सुखमें प्रीति चित्त स्थिर करनेसे आत्मस्वरूपकी प्राप्ति निर्विकल्प समाधिका कथन दानपूजादि श्रावक - धर्मपरंपरा .... यह आत्मा ही परमात्मा है ... देह और आत्माकी भेदभावना परमात्मप्रकाशके मूल और पाठान्तर परमात्मप्रकाशके दोहोंकी वर्णानुक्रम Jain Education International परमात्मप्रकाश पृ. सं. दो. सं. । २६७ १५४ २६९ १५६ २७३ १६१ २८० १६८ मोक्षका कारण हैं। चिंता रहित ध्यान मुक्तिका कारण २८१ १६९ परमात्मप्रकाशके योग्य पुरुष... परमात्मप्रकाशका फल २८४ १७४ २८७ १७७ पू. सं. ३१९-५० विषय सब चिंताओंका निषेध परमसमाधिका व्याख्यान अर्हतपदका कथन परमात्मप्रकाश शब्दका अर्थ... सिद्धस्वरूपका कथन ३५१-५५ परमात्मप्रकाशशास्त्रका फल अंतिम मंगल नाम श्री चिमनभाई मोती भाई पटेल श्री स्मिताबेन वसंतभाई शाह श्री वल्लभभाई विठ्ठलभाई पटेल श्रीमती पुष्पाबेन दिनेशभाई म. कोठारी श्री हिना विश्रुतभाई श्री स्व. कीर्तिलाल गिरधरलाल शाह श्री सुभाषभाई धनराजजी मुथा श्री किशोरभाई उत्तमचंदजी गुंदेचा श्री वर्षाबेन विनोदभाई शाह श्री जयाबेन वसनजीभाई पालण मारू .... गाम आणंद बोरीवली ... संस्कृतीकामें उद्धृत पद्योंकी वर्णानुक्रम योगसार-मूल, संस्कृतच्छाया, पाठान्तर, और भाषाटीकासहित योगसारके दोहोंकी वर्णानुक्रम-सूची ३८५-८६ ३५९-८४ परमात्मप्रकाश' के प्रकाशनमें आर्थिक सहयोगदाताओंके नाम रकम २००० १००१ १००१ १००० ५०१ ५०१ ५०१ ५०१ ५०१ ५०० आस्ता मुंबई सुरत सुरत नागपुर वरोरा बोरीवली माटुंगा For Private & Personal Use Only .... पू. सं. दो. सं. २९३ १८७ २९५ १८९ २९९ १९५ ३०२ १९८ ३०४ २०१ ३०७ २०४ ३०९ २०७ ३१३ २१३ ३१४ २१४ पू. सं. ३५६-५८ www.jainelibrary.org
SR No.001876
Book TitleParmatmaprakasha and Yogsara
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorA N Upadhye
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2000
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size13 MB
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