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१. २१]
विलासवई कहा
पर मन्नइ कह वि अनिंदिएण पाविज्जइ जइ केणइ नएण | १० निसृणिवि अगंगसुंदरि भणे ता सामिणि कीस न अवहरेइ । अणुराय सहावहं सम- अणुरुवहं अवहरणु विकुल- कन्नयहं । विहि एहु भणिज्जइ न य निंदिज्जइ पुरिसहं साहस- उन्नयहं ||१९||
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पर एरिसि कियइ न होइ सेउ । सव्वत्थ अक्खलिउ तस्रु पयारु । जीवणु महंतु न य गहिउ तेण । तामसावि यावि देइ | atrरु असेसु सामिणिहि साहि । जं दोन्ह वि दंसणु ताण होइ । पुणु सामिणि भवणुज्जाणि नेमि । तो दंसणु होस निव्वियारु । हउं पुणु संपत्त तुह सयासि । संप पुणु कुमरो चिचय पमाणु । सव्वाहं वि सोक्खहं गयउ पारु ।
मई बोल्लिउ सुंदरि अस्थि एउ अइ-वल्लहु नर-नाहह कुमारु उवणीउ तस्स बहु- माणएण जं कुरु भइ तं चिय करेइ ५ ता अलमिमेण तुहुं ताव जाहि
अन्नु वि मह कहहि उवाउ कोइ अह भणिउ तीए एरिस करेमि तुहुं पुणु आणिज्जहि तर्हि कुमारु इय जंपिवि गय सामिणिहि पासि १० एहु वइयरु अक्खिउ मई पहाणु एरिसु निमुणेवि सणकुमारु
तं पीsहिं पडियउ धीsहिं चडियउ नाइ महूसउ पाविउ । वसुभूइहि तु ठउ पुणु सुविसिट्ठउ कडय-जुयल तसु दावियउ ||२०||
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वसुभूइ भणिउ तो सबहुमाणु अह ते गय भवज्जाणि दो वि तत्थ व अकाल-कय-दोहले हिं छप्प वि उउ निवसहिं सच्चकालु ५ पढमं चिय तिलयासोय जं तु गिम्दु वि मल्लिय- परिमलु वरंतु
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[१९] १० पु० निसुणे वि
[२०] २. ला०वि तमु अक्खलिय पयारु ५. • पु० तुहु ११ ला० सव्वाहु वि सोअह गयउ [२१] २. ला० भवणुज्जाणे
९.
११
न कयावि करउं तई अप्पमाणु । आढत्त भवि तहिं सव्वओ वि । कुसुमिय-असेस - तरु-मंडलेहिं । उज्जाणु मणोहरु तं विसालु | किय-सिंदुवार - मंजरि वसंतु । पाउसु कयंव वासिय दियं ।
ला० अलमेएण ८. ला० आणेज्जहि
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