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________________ प्रस्तावना वसुभूतिए साम, दाम, भेद अने दंडथी बनेला नीतिमार्गनी विस्तृत समीक्षा करीने पहेलो, साम एटले के समजावटना मार्गे काम लेवानी सलाह आपी. (१०-११). दूत-प्रेषण ए तो स्वमानभंग छे एबु मानता, युद्ध भाटे तलपापड एवा सनत्कुमारना शूरवीर योद्धाओए तो एकी अवाजे युद्धनी मागणी करी. पण सुभटोने परिस्थिति समजावी, सनत्कुमारे पवनगतिने दूत तरीके मोकल्यो. तेनी साथे सनत्कुमारे अनंगरतिने तेना कर्त्तव्यनी याद आपी विलासवतीने पाछी सोंपवानो संदेश मोकल्यो, अने जो ते न माने तो पछी विलासवतीने आश्वासन आपी पाछा फरवानी आज्ञा आपी. पवनगति पाछो रवाना थयो. (१२-१३) तरत पाछा फरी पवनगतिए कुमार पासे निवेदन कर्यु-"ते दुष्टने आपनो संदेशो आपता ज गुस्से भराईने तेणे अपमानजनक वचनो उच्चायाँ अने देवीने पाछा सोंपवा इन्कार कयों. में वळतां कटुवचनो कह्यां तेथी उइकेराई तेणे मारा पर घा करवा खड्ग उगाम्यु, हुं पण वळतो जवाब कटारीथी आपवा तत्पर थयो. पण सभामांना डाह्या माणसोए दूत अवध्य छे एम कही तेने रोक्यो अने विलासवतीदेवीने पाछी सोपवा समजाव्यो. पण अनंगरतिए कोईनुं न मान्यु. हु पण देवीने मळी, आफ्नो संदेशो आपीने अत्रे पाछो फर्यो'. (१४-१७) पवनगतिन निवेदन सांभळतां ज सर्व सुभटो उश्केराईने युद्धावेशमां आवी गया (वर्णन). सनत्कुमारे ते दुर्जन अनंगरतिने पोते एकलो ज लड़ाई आपीने धरणीगोचर मनुष्यनी शक्ति बतावी आपशे एवो निश्चय जाहेर को. बधा सुभटोए तेने वार्यो. समग्र विद्याधर-सैन्य एकठं थयु. अजितबलादेवीए कुमार माटे सुप्रशस्त विशाळ विमान तरत ज रच्यु. वसुभूति साथे कुमार तेमां बेठो.(१८-२०) विविध युद्धवाद्यो (वर्णन) वागवा लाग्यां. देवो पण आ दृश्य जोवा टोळे वळयां. विविध वाहनो पर चढी सैनिको नीकळी पड्या. कुमारना जयनाद साथे समग्र सैन्य अनेक प्रदेशो वींधतुं वैताढ्यपर्वतनी तळेटीमां आव्यु. त्यां पडाव नाखवामां आव्यो. कुमारे त्यां विद्यादेवीनी आराधना माटे त्रण अहोरात्र उपवास कर्या अने बधी विद्यादेवीओनुं पूजन कयु. अनंगरतिना विरोधी राजाओ तथा बीजा अनेक विद्याधरो कुमारना पक्षे लडवा माटे आवी मळया. अनंगरतिए सनत्कुमारने आवेलो जाणी प्रतिकार माटे दुर्मुख नामे सेनापतिने सैन्यसह मोकल्यो. दुश्मननुं लश्कर आवतां ज कुमारन सैन्य सावधान थयु. (२१-२३) अनंगरति जाते आव्यो नथी अने दुर्मुख सेनापति लडवानो छे एम दूत पासेथी जाणी, कुमारना बदले तेना सेनापति चंडसिंहे सैन्यनी आगेवानी लीधी. पछी बन्ने सेनापतिओना सैन्य रोषपूर्वक परस्पर टकरायां अने तुमुल युद्ध(वर्णन) जाम्यु. (२४-२७) दुर्मुखना सैन्यना धसाराथी पोताना सैन्यने पार्छ हठतुं जोईने चंडसिंह उग्र बनी शत्रसैन्यनुं निकंदन काढवा लाग्यो, ते जोई दुर्मुख तेना सामे धसी आव्यो अने तेने ललकार्यो. बन्ने बच्चे दारुण द्वन्द्व खेलायु. अंते चंडसिंहना एक सफळ प्रहारथी दुर्मुख हणायो. सेनापति मरातां तेनू सैन्य भागवा लाग्यु. चंडसिंहना विजयने देवोए जयनादथी वधावा लीधो. (२८-२९) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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