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- विलासवईकहा
१५१ जा पुण विलासवइ नट्ठ कन्न सा तस्स वि होसइ घरणि धन्न । ५ दोण्णि वि पाविय उत्तम-पयाइं कह वि हु तुम्हाण मिलंति ताई।
तम्हा पुहई-वइ मा मरेहि ताण वि अन्नेसणु तुहुँ करेहि । इय जाव धरिउ नेमित्तिएण ता हउं हक्कारिउ देव तेण । विणयंधर अभएं कहहि सच्चु कि जियइ कुमरु किं विहिउ मच्चु ।
मई अक्खिउ सामि सहाय-जुत्तु पेसिउ सुवण्ण-भूमिहि पहुत्तु । १० महि-नाहु भणइ तुह भद्द जाहि कत्थ वि आणेहि कुमारु बाहि ।
वयण-कमल जइ तस्स दीसए एउ दुक्खु ता सयलु नासए । सो ज्जि हरइ तं दुक्खु दुसहं अग्गि-दहि अग्गी वि ओसहं ॥३०॥
[३१] विणयंधर ता उज्जमु करेहि जइ महुं सुभिच्च जीविउ धरेहि । आणेहि पुणो वि सणकुमारु तुहुं एत्थ कज्जे पर एक्कु सारु । मई वुत्तउ सामि करेमि एउपर मज्झ पइण्ण सुणेउ देउ।
जइ वरिस-मज्झि सो नवि लहेमि अप्पाणु जलिय-हुयवहे दहेमि । ५ परिवडिढय-गुरु-संभावणाण एवंविह-कज्जे-निउंजियाण ।
असमाणिय-निय-पह-पेसणाण मरणं पि य सोहइ सुपुरिसाण । ता वरिस मेत्तु पडिवालि देव अणझाइय कहइ गुवुड चेव । परिसं महु मग्गु पलोयएज्ज उवरि जं जाणसु तं करेज्ज ।
इय जंपेवि पहु-पाएहि पडेवि हउं जाणवत्ते चल्लि उ चडेवि । १० सेयवियहि आइउ आसि को वि गउ एह वत्त जाणेवि पुणो वि ।
हउं पुणु पहुत्तु सिरिउर पविठु तहिं सेटि-मणोरहदत्तु दिछु । तुम्ह वत्त सो देव पुच्छिउ कहिउ तेण मह गेहि अच्छिउ । माउलस्स पुण दंसणस्थिउ तत्थ सोहल-दीवि पत्थिउ ॥३१॥
[३२] तो जाणवत्ते पुणु आरूहेवि गउ सिंहल सायरु उत्तरेवि ।
अरिकेसरि तत्थ नरिंदु दिदछु खयराहिव तुहु आगमणु पुछ् । [३०] ५. ला० दुन्नि ८. ला• अभये, पु० विहिय मच्चु । ९. पु. पत्तु १०. ला०
नरनाहु १२. ला० अग्गि-दड्ढे [३१] १. ला० करेह जइ महु, पु० जीविउ वरेहि .. ला० परिवालि देव अणज्झाइय ___ कहइ गुवाडु ८. पु० जाणसि ११ पु० सिरिउरि १२. पु० पुच्छिओ...अच्छिओ ।
१३. पु० दंसणत्थिओ...पविओ. [३२] १. लॉ० गओ
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