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५ रे धरणी - गोयर किं भणेसि अग्गाहुइ हउं तुह होमि पाव थेवंतरू ता किं जंपिएण
किं तुहुं अत्ताण न य मुणेसि । न य पुणु तुमं पि मह होसि ताव । हत्थे वि कंकणु किं दप्पणेण ।
दुम्मुहु मारि कह वि तेण तो दप्पु वहइ सो निय-मणेण । जिह दुम्मुहुं मई वि गणेइ तेंव मिरियाई वि चावइ चणय जेंव । १० अगणेवि पहुत्तणु मज्झ घठु अइ-भूमि भूमि- गोरु पविछु । ता मारउ सो कहिं दिठु जाइ सूयारह सालहि ससउ नाइ । इय भणेवि कोवक्खलियक्खरेण तो निय-निउत्त आइट्ठ तेण । सणाह - भेरि भो सिग्घ देह तह सगड - वृहु सुंदरु र एह ।
साहारणकविरइया
तो देव निउत्तेहिं तेहिं तुरंतेहि समर - भेरि हय तक्खणेण । १५ अह सा वि सुसज्जिय सुगहिरु वज्जिय नं हुंकारउ किउ जमेण ॥२॥
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अह भेरि सहु गंभीरु तेहिं पढमं भय-तट्ट विलोयणेहिं आसन्न - विरह- दुह-कायरीहिं चिर-रूढ - फुडिय-वण-कंदरेहिं ५ कय- सामि - सुकय-पडिमोअणेहिं पढम-रण- दंसण- सुए हिं निय निय-निओय उवउत्तएहिं पहु-भणिय महंत य चोइएहिं एउ माए उवद्वि किं अणि १० एरिस सदुक्खु रोवंतिया हि
भो भो इमेण दुण्णामएण उद्वाविय पेटु मलेवि वाहि
बहु-विहु आयणिउ सेणिएहिं । निसुणिउ भेरी-रखु कुपुरिसेहिं । रोवंतिहिं सुउ सेणाभडीहिं । रण - रहस जाय- पुल- उग्गमेहिं । आयण्णिउ भेरी-खु भडेहिं । अवधारिउ राय - कुमारएहिं । कज्जेसु तुरिउ धावंतएहिं । परियच्छिउ सदु निओइ एहिं । मह पुत्तु वि न सहइ सेन्तु दिछु । सहस त्ति निसामिउ बुढियाहिं । पहुणा पर घरिणिहि लद्धरण | संदेह चडाविउ नयरु ताहि ।
[२] ६. ला० होइंमि... मम होसि... ९. पु०
जई दुम्मुहुं, ला० दुम्मुहु... जेव । १० पु० पहुत्तण ११. ला० सूयारहं सालहिं, पु० सालं हि १२. ला० भणिवि १३. पु० तहिं सगड • ला० सगडवूह १४. पु० मियत्तेहिं
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[३] २. पु० भेरी - रउ ५. ला०-पडिमोयणे हिं... मेरी - रउ रण- ७ पु० निय - निउय - ९ ला० पुत्तो ११ ला ०
भडेहि । ६. ला० पढम य दुन्नान एग... घरणिहि
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