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________________ २५४ लोकविभाः पृष्ठ १८५ १७६ १२८ १६० १८३ १८९ १६८ ८१ पृष्ठ | शब्द १३४ श्रुतपूर्वी ९७ श्रेणिसंस्थित ५२ श्रेणीबद्ध ४ श्वेत ५२ श्वेतकेतु श्वेतध्वज सकलेन्द्रिय १२५ सच्चारित्र १०२, १२५, १७७| सतालक | सत्पुरुष ३, १८८ सत्या १८४ सद्दर्शन | सनत्कुमार | सनत्कुमार यक्ष | पन्मति १६८ सप्तच्छदवन १४५, १५४, २०९ सप्तपर्ण ७२ सप्तानीक १३, २१ | सभा १२६ सभाभेद १२२ समय १८३ समाहार ११५, १२१ | समित १०, ८१ | समिता ३६ सम्यक्त्व . ७सरस्वती १२ सरिता २०६ १७५, १८६ 313 पृष्ठ शब्द बंड्र्यवर ७२ शिला बैडा १३४ शिल्प वैतरणी १६३ शिवदेव वैमानिक १७४, १७५ शिवमन्दिर १७९ शिवव्यन्तर वैरोचन ७८, १२८, १३६, शिवंकर १३७, १४४.१७९ शिवा वलम्ब १३६, १३७ शीतकेतु वैशाख ११५ शुक्र वैश्रवण ५, ९, २१, ८० शुक्रदेव वैश्रवणकूट ___३,७ शुक्रपुर वश्व १२६, २२५ शुक्लध्यान वैश्वदेव १२८ शुभ व्यवसायसभा २१७ शुभा २२४ शेषवती व्रत शकटमुखी ३ शैलभद्र शकाब्द २२५ शैला शक्र १०,३३, १४४, १८५ श्यामक शची १९३ श्रद्धावान् शतज्वल २० श्रवण ८१ श्रविष्ठा शतहृदा शतार १७७ श्रावक शतारेन्द्र १९० श्रावण शत्रुजय ४ श्री शनैश्चर १०३, १२५ श्रीकान्ता शरीररक्ष १३८ श्रीकूट शर्कराप्रभा १४५ श्रीगृह शर्वरी श्रीचन्द्रा शशिप्रभ श्रीदाम शंख श्रीदेवी शंखवर श्रीधर शंखा २३ श्रीनिकेत शातकार १७७ श्रीनिलया शाल्मलि श्रीप्रभ शाल्मलिवक्ष श्रीमहिता शास्त्र १३५,१६५ श्रीवास शिखरी २,५४ श्रीवृक्ष शिखरीकट ९ श्रीसौध शरःप्रकम्पित ८८ ७७, २०६ १९५, १९९ २०५ ४६ १२८ २०६ १३९, १९२ ९५, १६२, १८३ १२८ ३, १०१, १०२, २२० १८० १६८, २०५, २०६ १७० सर्वगन्ध ३७ सर्वज्ञ ३, ७५ सर्वज्ञदर्शन सर्वतोभद्र | सर्वतोभद्रा ३, ७५ सर्वदर्शी ३६ सर्वनन्दी सर्वरत्न सर्वसंकलित ४ सर्वसेना ३७ सर्वार्थ २२० २२५ ८१ ९७ श्रुतदेवी १७३ २०२, २०८, २२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001872
Book TitleLokvibhag
Original Sutra AuthorSinhsuri
AuthorBalchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2001
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Geography
File Size22 MB
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