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________________ ५२ प्रथमः पादः पृथकि धो वा ॥ १८८॥ पृथक् शब्दे थस्य धो वा भवति । पिधं युधं । पिहं पुहं । पृथक् शब्द में थ का ध विकल्प से होता है। उदा०-पिधं..."पुहं । शृङ्खले खः कः ॥ १८६ ॥ शृङ्खले खस्य को भवति । सङ्कलं । शृङ्खल शब्द में ख का क होता है । उदा०-संकलं । पुन्नागभागिन्योर्गों मः ॥ १६० ॥ अनयोगस्य मो भवति । 'पुनामाई वसंते । भामिणी। पुन्नाग और भागिनी शब्दों में ग का म होता है । उदा०-पुन्नामाई. 'भामिणी। छागे लः॥ ११॥ छागे गस्य लो भवति । छालो छाली। छाग शब्द में ग का ल होता है । उदा०-~-छालो, छाली । ऊत्वे दुर्भगसुभगे वः ॥ १६२॥ अनयोकत्वे गस्य वो भवति । दूहवो । सूहवो । ऊत्व इति किम् । दुहओ। सुहओ। दुभंग और सुहग इन दो शब्दों में, ( आदि उकारका ) ऊ होने पर, ग का व होता है । उदा०-दूहवो, सूहवो। ऊ होने पर ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण इन शब्दों में, यदि उ का ऊ न हो, तो ग का व नही होता है । उदा०-)दुहओ, मुहओ। खचितपिशाचयोश्वः सल्लौ वा ॥ १६३ ॥ अनयोश्वस्य यथासंख्यं स ल्ल इत्यादेशौ वा भवतः। खसिओ खइओ। पिसल्लो पिसाओ। ___खचित और पिशाच शब्दों में, च को अनुक्रम से स और ल्ल आदेश विकल्प से होते है । उदा०-खसिओ... पिसाओ । जटिले जो झो वा ॥१६४ ॥ जटिले जस्य झो वा भवति । झडिलो जडिलो। जटिल शब्द में, ज का झ विकल्प से होता है। उदा.-झडिलो, जडिलो । १. पुन्नागानि वसन्ते। २. /छाग। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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