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देवहुँ
प्राकृतव्याकरण-चतुर्थपाद तृ० देवे, देवें देवेण ( देंविण ) ( देवि ) देवहि, देवेहि पं० देवहे, देवहु 'प० देव, देवसु, देवस्सु, देवहो, देवह देव, देवह स० देवे, देवि
देवहिं सं० देव, देवा, देवु, देवो
देव, देवा, देवहो
इकारान्त पुल्लिगी गिरि शब्द विभक्ति ए० व०
अ० व प्र० गिरि, गिरी .
गिरि, गिरी द्वि० गिरि, गिरी
गिरि, गिरी तृ० गिरिएं, गिरिण, गिरि
गिरिहिं पं० गिरिहे
गिरि ब. गिरि, गिरिहे
गिरि; गिरिह; गिरि स० गिरिहि
गिरि सं० गिरि
गिरि, गिरी, गिरिहो उकारान्त पुल्लिगी शब्दों के रूप गिरि के समान होते हैं ।
अकारान्त नपुंसकलिंगो कमल शब्द विभक्ति
अ० व प्र०
कमल, कमला, द्वि० कमल, कमला
कमलइ', कमलाई __अन्य रूप अकारान्त पुल्लिगी शब्द के समान होते हैं।
अकारान्त नपुंसकलिंगी तुच्छअ शब्द विभक्ति
ए० व. प्र०, द्वि०
तुच्छउँ __अन्य रूप कमल के समान होते हैं ।
इकारान्त नपंसकलिंगी वारि शब्द विभक्ति ए० व
अ० व०
वारि, वारी प वारि, वारी
वारिइ वारी अन्य रूप इकारान्त पुल्लिगी शब्द के समान होते हैं ।
उकारान्त नपंसकलिंगी मह शब्द विभक्ति ए० व०
अ० व० प्र०
महु, महू, दि. मह, महू
महुइ, महूइ अन्य रूप उकारान्त पुल्लिगो नाम के समान होते हैं ।
ए० थ.
अ० ब०
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