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टिप्पणियां
आज्ञार्थ के प्रत्यय पुरुष ए.व०
अ० २० प्रथम द्वितीय सु,इज्जसु,इज्जहि,इज्जे, हि, ह तृतीय उ ___ आज्ञार्थ के प्रत्यय लगते समय:-(१) मु और मो प्रत्ययों के पूर्व धातु के अन्त्य म के इ और आ होते हैं ( सूत्र ३.१५५)। (२) सर्व प्रत्ययों के पूर्व धातु के अन्त्य अ का ए होता है ( सूत्र ३.१५८)। (३) इज्जसु, इज्जहि, इज्जे और लोप (0) प्रत्यय केवल अकारान्त धातुओं के बारे में ही होते हैं ।
आज्ञार्थः हस धात पुरुष ए. व०
अ०व० प्र०पु० हसमु, हसामु, हसिमु, हसेमु हसमो, हसामो; हसिमो, हसेमो द्वि०पु० हससु, हसेज्जसु, हसेज्जहि, हसह, हसेह
हसेज्जे, हसहि, हसेहि, हस । तृपु० हसउ, हसेउ
हसन्तु, हसेन्तु
आज्ञार्थ : हो धातु पुरुष ए. व०
अ० व० प्र०पु० होम
होमो द्वि०पु. होसु, होहि
होह तृपु. होउ
होन्तु ३.१७३ विध्यादिष्वर्थेषु-विधि इत्यादि अर्थों में । प्राकृत में आज्ञाथं और विध्यर्थ इनमें विशेष फर्क नहीं माना जाता, ऐसा दिखाई देता है। एकत्वे... .... स्थाने-एक वचन में होने वाले तीन पुरुषों के ( त्रयाणां ) तीनों भी एक वचनो के (त्रिकाणां) स्थान पर । दकारो'.. .""न्तरार्थम्-दु में से द् का उच्चारण दूसरे ( यानी शौरसेनी ) भाषा के लिए है।
३.१७४ सोः स्थाने-सु के स्थान पर । सु के लिए सुत्र ३.१७३ देखिए ।
३.१७५ लुक-लोप; यहाँ प्रत्ययों का लोप । अकारान्त धातुओं के आज्ञार्थ द्वितीय पुरुष एक वचन में एक रूप प्रत्यय रहित होता है । उदा--हस ।
३.१७६ बहष्व... .."स्थाने-बहवचन में होने वाले, तीन पुरुषों के, तीनों में बहुवचनों के स्थान पर । हसन्तु हसेयुः हसत, हसत हसाम हसेम-हस् धातु वे अनुक्रम से तृ• पु०, द्वि० पु० और प्र० पु० इनके बहुवचनों के क्रम से आज्ञार्थी और विध्यर्थी रूप
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