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________________ ३७० टिप्पणियां अंसु ऐसे भूतकाल में तृतीय पुरुष अनेक वचन के प्रत्यय प्रयुक्त किए दिखाई देते हैं। तर्थव, अबवी के समान भूतकाल में तृतीय पुरुष एकवचन के रूप भी वाङ्मय में दिखाई देते हैं । स्वरान्ताः ..... विधिः-सी, ही, हीअ ये प्रत्यय लगाने का नियम केवल स्वरान्त धातुओं के बारे में ही हैं। अकार्षीत्....."जकार-ये कृ धातु के संस्कृत में होने वाले अद्यतन; अनद्यतन और परोक्ष भूतकाल के,रूप हैं। ह्यस्तन्याः प्रयोगः-शस्तनी का उपयोग । ह्यस्तनी यानी अनद्यतन भूतकाल । ३२६३ व्यखनान्ताः ......"भवति-व्यञ्जनान्त धातु को. भूतकाल में ईस प्रत्यय लगता है। यहाँ व्यञ्जनान्त का अर्थ है संस्कृत में ब्यञ्जनान्त होने वाला धातु, कारण प्राकृत में व्यञ्जनान्त शब्द ही नहीं होते हैं। अभूत् 'बभूव, आसिष्ट:..... आसांचके, अग्रहीत् 'जग्राह-भू, आस् और ग्रह धातुओं के रूप । सूत्र ३.१६२ के नीचे अकार्षीत्..."चकार इस ऊपर को टिप्पणी देखिए । ३.१६४ आसि और अहेसि ये अस धातु के मूतकालोन रूप सर्व पुरुषों में और सर्व वचनों में प्रयुक्त किए जाते हैं। ३.१६५ सप्तमी-विध्यर्थ । विध्यर्थ का चिह्न इस स्वरूप में धातु के आगे ज्ज आता है और उसके आगे थिकल्प से वर्तमान काल के प्रत्यय जोड़े जाते हैं । ३.१६६-१७२ इन सूत्रो में भविष्यकाल का बिचार है । हि अथवा स्स भविष्य काल का चिह्न है। भविष्यकाल के प्रत्यय निम्न के अनुसार दिए जा सकते हैं : भविष्यकाल के प्रन्यय पुरुष ए० व० अ. ब. प्र०पु० स्सं, स्सामि, हामि; हिमि स्सामो, स्साम, स्सामु; हामो, हाम, समु; हिमो, हिम, हिम हिस्सा, हित्था द्वि०पु० हिसि, हिसे हित्या, हिह तृपु० हिइ, हिए हिन्ति, हिन्ते, हिंइरे ये प्रत्यय लगने के पूर्व सूत्र ३.१५७ के अनुसार, धातु के अन्त्य अ के इ और ए होते हैं । धातु के उदाहरण : भविष्यकाल भण धातु पुरुष ए० व० अ.व. प्र.पु. भणिस्सं, भणेस्स; भणिदसामि, भणिस्सामो, भणेस्सामो; भणिस्साम, भणेस्सामिभणिहामि, मणेहामि; भणेस्सामु भणिस्सामु,भ॥स्सासु; भणिहामो, भणिहिमि, भणेहिमि भणेहामो; भणिहाम, महाम; भणिहिम, भणेहिम; भणिहिसु, भणेहिसु; भणिहिस्सा; भणेहिस्सा, भणिहित्था, भणेहित्था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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