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________________ प० स० प्राकृतव्याकरण- तृतीयपाद से; कास, किस्सा, कोसे; तिस्सा, तौसे; जिस्सा, जोसे तास, काहि; जाहि; ताहि नपुंसक लिंग में सव्व इत्यादि अकारान्त अंग प्रथमा और द्वितीया इनमें वण की तरह, और तृतीया से सप्तमी तक अपने-अपने पुल्लिंगी सर्वनामों के समान चलते हैं । कुछ के अधिक रूप ऐसे होते हैं : एकवचन :- प्रथमा :-- इदं, इणं, इणमो; एस; कि द्वितीया :-- इदं, इणं, इणभो; कि सन्वेसि सि सि } अदस् सर्वनाम तीनों भी लिंगों में अदस् का अमु ऐसा अंग होता है और वह उकारान्त संज्ञा के समान चलता है । उनके अधिक रूप ऐसे :-- तीनों भी लिंगों में : - प्र० ए० ब० : - अह । पुल्लिंगी सप्तमी ए० व० : - अयम्मि, इयम्मि युष्मद् और अस्मद् सर्वनाम इन दोनों भी सर्वनामों के रूप अनियमित हैं । वे ऐसे हैं : प्र. तं, तं, तुवं, तुह, तुमं द्वि. तं, तुं, तुमं, तुवं तुह, तुमे, तुए तृ० भे, दि, दे, ते, तइ, तए, तुमं तुमइ, तुमए, तुमे तुमाइ Jain Education International युष्मद् सर्वनाम भे, तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे, उन्हे तुम्हे तुज्झे ३६३० वो, तुज्झ, तुब्भे, तुम्हे, उम्हे, भे, तुम्हे तुझे भे, तुन्भेहि, उज्झेहि, उय्येहि, तुय्येहि, उय्येहि, तुम्हेहि, तुझेह पं० तइत्तो, तुवत्तो, तुमत्तो, तुहत्तो, तुब्भत्तो, तुम्भत्तो, तुम्हत्तो, उम्हत्तो, तुम्हत्तो, तुम्हत्तो, तुज्झत्तो; तइओ, इ; तइउ, इ; तुज्झत्तो, इ तई हि, इ; तहितो, इ, तुम्ह, सुब्भ, तुम्ह, तुज्झ, तहितो ष० तइ, तु, ते, तुम्हं, तुह, तुहं, तुव, तुम, तु, वो, भे, तुब्भ, तुब्भं, तुब्भाण, तुवाण, तुमे, तुमो, तुमाइ दि, दे, इ, ए, तुम्भ, नुमाण, तुहाण, उम्हाण, तुब्भाणं, उब्भ, उम्ह, तुम्ह, तुज्ज, उम्ह, उज्झ तुवाणं, तुमाणं तुहाणं, उम्हाणं, तुम्ह, तुज्झ, तुम्हं, तुझं, तुम्हाण, तुम्हाणं, तुज्भाण, तुज्झाणं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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