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टिप्पणियाँ
विद्यत् शब्द छोड़ कर, अन्य कुछ व्यञ्जनान्त स्त्रीलिंगी शब्दों में, अन्त में आ स्वर मिलाकर अनन्तर वर्णान्तर होता है । उदा० - सरित् + आ = सरिता = सरिआ (सूत्र १.१७७ के अनुसार ) । इसी प्रकार पाडिवआ, सम्पदा ( सूत्र १.१४ ) । यही प्रकार रेफान्त शब्दों के बारे में होता है । उदा० – गिरा, धुरा, पुरा ( सूत्र १.१६ ) । इसी तरह छुहा ( सूत्र १.१७ ), दिसा ( सूत्र १.१९ ), अच्छरसा ( सूत्र १.२० ), और क उहा ( सूत्र १-२१ ) ये वर्णान्तर होंगे । अब, जो व्यञ्जनान्त शब्द प्राकृत में पुलिंगी होते हैं, उनमें से कुछ के अन्त में अ स्वर मिला कर वर्णान्तर होता है । उदा० - शरद् + अ = शरद = सरअ । इसी प्रकार भिसओ (सूत्र १.१८ ), पाउसो ( सूत्र १.१९ ), और दोहा उस ( सूत्र १.२० ) ।
१·१५ स्त्रियाम् — स्त्रीलिंग में । ईषत्स्पृष्टतरयश्रुति - सूत्र १.१८० देखिए । १·१६ रेफर वर्णं । आदेश - एकाध वर्णं अथवा शब्द के स्थान पर आने
वाला अन्य वर्णं किंवा शब्द |
१.२० दीहाऊ, अच्छरा - दीर्घायुस् और अप्सरस् शब्दों में अन्त्य स का लोप होकर ये रूप बने हुए हैं ।
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१·२२ धणू – धनुस् शब्द के अन्त्य व्यञ्जन का लोप होकर यह शब्द बना है । १·२३ अनुस्वार—स्वर के पश्चात् | जिसका उच्चारण होता है वह अनुस्वार । उदा० - जलं शब्द में, अन्त्य अ स्वर के पश्चात् अनुस्वार का उच्चारण है । जलं ... पेच्छ- पिछला शब्द ( कर्म होने से ) द्वितीया विभक्ति में है, यह दिखाने के लिए पेच्छ ऐसा आज्ञार्थी रूप यहाँ प्रयुक्त किया है । । पेच्छ शब्द दृश् धातु का आदेश ( सूत्र ४.१८१ देखिए ) है । अनन्त्य - अन्त्य न होने बाला ।
१.२४ सक्खं, जं, तं, वीसुं, वीसुं, पिहं, सम्म - --- इन शब्दों में अन्त्य व्यञ्जनों का अनुस्वार हुआ है । इहं, इहयं - सच कहे तो यहाँ अन्त्य व्यञ्जन का अनुस्वार नहीं हुआ है ! इहं शब्द में ह ऊपर अनुस्वारागम हुआ है । इह शब्द के आगे स्वार्थे क ( य ) प्रत्यय आया, अनन्तर उसके हुआ है । आलेट्ठअं - - सूत्र २.१६४ देखिए । आश्लेष्टुम् के आगे आकर अनुस्वार का स्थान बदला हुआ हैं ।
इहयं शब्द में. पहले ऊपर अनुस्वारागम स्वार्थे क ( अ )
१.२६ आगमरूपोनुस्वारः---आगम स्वरूप में आने वाला व्यञ्जनों के सन्दर्भ में, अनुस्वारागम के बारे में ऐसा कहा जा व्यञ्जन में एक अवयव का लोप होने पर, उसके स्थान पर आता है । उदा० - क्रूर वक्क - - व० क ---वम् क-वं क । अणिउ तयं, अइ मुंतयं --सूत्र १.१७८ देखिए । क्वचिच्छन्दः पूरणेपि -- -- आवश्यक मात्रा ( अथवा गण ) पूर्ण करते समय । उदो०- देवं नाग सुवण्ण शब्द में छन्द के लिए 'व' अक्षर पर अनुस्वार आया है ।
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अनुस्वार । संयुक्त सकता है :: -- संयुक्त
कभी ) अनुस्वार
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