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प्राकृतव्याकरणे
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विहवे. निच्च? ॥६॥ साधारण (शब्द) को सड्ढल (आदेश):-कहि 'नेहु ।।७।। कौतुक (शब्द) को कोड्स (आदेश):-कुअरु ...."परमत्थु ॥८॥ क्रीडा ( शब्द ) को खेड (आदेश ):-खेड्डयं "सामि ॥९॥ रम्य ( शब्द ) को खण्ण ( आदेश ):सरिहिं . सुमहि ॥१०॥ अद्भुत (शब्द) को ढक्करि (आदेश):-हिअडा....... ढक्करिसार ॥११। हे सखि (इन शब्दों) को हेल्लि (आदेश):-हेल्लि....."आल । पृथक्-पृथक् (इन शब्दों) को जुअंजुअ (मादेश):-एक्क कुडुल्ली.....'छन्दउँ ॥१२॥ (बब्द ) को नालिअ और बड ( ऐसे दो आदेश ):-जो पुण.....'नालिउ ।। १३ ॥ दिवे हिं....."वढ ।। नव (शब्द) को नक्स ( आदेश ):--नवखी..... विसगण्ठि ॥ अवस्कंद (शब्द) को दडवड (आदेश):-घले हिँ...""कालि ॥ ४॥ यदि (शन्द को छडु ( आदेश ):-छुड्डु ...."ववसाउ ॥ संबंधिन् ( शब्द ) को केर और तण ( ऐसे दो आदेश ):-गयउ...' 'तृणाई ॥१५।। अह.... तणा ।। मा भैषीः ( इन शब्दों) को मन्मीसा ऐसा स्त्रीलिंगी शब्द ( आदेश होता है ):--मत्थावत्यह....."देइ ॥ १६ ॥ पद् यद् दृष्टं तद् तद् (इस शब्द समूह) को जाइट्ठिआ (आदेश):-जइ रच्चसि...." ताव ॥१७॥
हुहुरुधुग्धादयः शब्दचेष्टानुकरणयोः ॥ ४२३ ॥ अपभ्रंशे हुहुर्वादयः शब्दानुकरणे धुग्धादयश्चेष्टानुकरणे यथासंख्यं प्रयोक्तव्याः ।
मइँ जाणिउ बुड्डीसु हउँ-पेम्मद्रहि हहुरूत्ति ।
नवरि अचिन्तिय संपडिय विप्पियनाव झड त्ति ॥ १॥ आदि हयान् ।
खज्जइ नहि कसरक्के हिं पिज्जइ नउ घुण्टेहिं । एम्वइ होइ सुहच्छदी पिएँ दिठे नयणोहिं ॥ २ ॥ इत्यादि । अज्ज वि नाहु महु ज्जि घरे सिद्धत्था वंदेइ ।
ताउँजि विरहु गवक्खे हि मक्कड-घुग्घिउ देइ ॥३॥ आदि ग्रहणात्। १. मया ज्ञातं मझ्यामि अहं प्रेमहदे हुहुरुशब्दं कृत्वा ।
केवलं मचिन्तिता संपतिता विप्रय-नौः झटिति ।। २. स्वायते नहि कसरत्काबन्दं कृत्वा पीयते न तु घुट् शब्दं कृत्वा ।
एवमेव भवति सुखासिका प्रिये दृष्टे नयनाम्याम् ।। ३. मद्यापि मायः मम एव गहे सिदार्थान् वदन्ते । ताबदेष विरहः गवाक्षेषु मर्कटचेष्टां ददाति ॥
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