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________________ १५२ तृतीयः पादः का माम् ( प्रत्यय ) के सह 'से' ऐसा आदेश होता है, ऐसा कोई एक (वैयाकरण ) मानता है। वैतदो ङसेस्त्तो ताहे ॥ ८२ ।। एतदः परस्य उसेः स्थाने तो ताहे इत्येतावादेशौ वा भवतः । एत्तो एत्ताहे । पक्षे । एआओ एआउ एआहि एआहिंतो एआ। एतद सर्वनाम के आगे आनेवाले असि ( प्रत्यय ) के स्थान पर तो और ताहे ऐसे ये आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०--एत्तो, एत्ताहे । ( विकल्प-) पक्षमें:एमआयो..."एमा। त्थे च तस्य लुक ।। ८३ ।। एतदस्त्थे परे चकारात् त्तो त्ताहे इत्येतयोश्च परयोस्तस्य लुग भवति । एत्थ । एत्तो। एत्ताहे। एतद् ( सर्वनाम ) के आगे, त्य तथा ( सूत्र में से ) चकार के कारण तो और त्ताहे ( ये आदेश ) होने पर, ( एतद् शब्द में से ) 'त' का लोप होता है । उदा०एत्थ..."एत्ताहे । एरदीतौ म्मौ वा ॥ ८४ ॥ एतद एकारस्य ड्यादेशे म्मौ परे अदीतौ वा भवतः । अयम्मि । ईयम्मि । पक्षे । एमम्मि। एतद् ( सर्वनाम ) में से एकार को डी ( = डित् ई ) आदेश होने पर, (उसके) आगे म्मि (प्रत्यय ) होने पर, उसके अ और ई विकल्प से होते हैं। उदा०अपम्मि, ईयम्मि । ( विकल्प-) पक्षमें:-एअम्मि।। वैसेणमिणमो सिना ।। ८५॥ एतदः सिना सह एस इणं इणमो इत्यादेशा वा भवन्ति। 'सब्वस वि एस गई। सव्वाण' वि पत्थिवाण एस मही। एस सहाओ च्चिअ । ससहरस्स । एस सिरं । इणं । इणमो । पक्षे । एअं । एसा । एसो। __सि ( प्रत्यय ) के सह एतद् ( सर्वनाम ) को एस, इणं और इणमो ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-सव्वस्स......"इणमो। (विकल्प-) पक्षमें:एम.""एसो। १. सर्वस्य अपि एषा गतिः । २. सर्वेषां अपि पापियानां एषा मही। ३. एकः स्वभावः एव शशधरस्य । ४. शिरस् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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