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________________ तृतीयः पादः इमादेशोपि । इमस्सि । इमस्स । बहुलाधिकारादन्यत्रापि भवति । एहिं 'एसु । माहि । एभिः एषु आभिरित्यर्थः । fe और स ये ( प्रत्यय ) आगे होने पर, इदम् ( सर्वनाम ) का 'म' विकल्प से होता है । उदा० - अस्स, अस्स । ( विकल्प - ) पक्ष में: - ( इदम् सर्वनाम को सूत्र ३९७२ के अनुसार ) इम ऐसा आदेश भी होता है । उदा० - - इमस्सि, इमस्स । बहुलका अधिकार होने से, अन्यत्र भी ( यानी अन्य कुछ प्रत्ययों के पूर्व भी इदम् काम होता है । उदा० ) एहि, एसु और आहि ( यानी ) एभि:, एषु भोर आभिः ऐसा अर्थ होता है | १५० डेर्मेन हः ॥ ७५ ॥ इदमः कृते मादेशात् परस्य ङ: स्थाने मेन सह ह आदेशो वा भवति । इह । पक्षे । इमस्सि । इमम्मि । जिसमें इम आदेश किया हुआ है ऐसे इदम् ( सर्वनाम ) के आगे आने वाले ङि ( प्रत्यय ) के स्थान पर म के साथ 'ह' ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०इह । ( विकल्प - ) पक्षमें : - इमस्सि, इमम्मि । न त्थः ॥ ७६ ॥ इदमः परस्य ङ: स्सि म्मि त्था: ( ३.५९ ) इति प्राप्तः त्यो न भवति । इह् इमस्सि इमम्मि | ङि प्रत्यक्ष का 'हे' "स्था:' सूत्रानुसार होनेवाला तथ ऐसा आदेश इदम् सर्वनाम के आगे नहीं होता है । उदा० इह इमम्मि । --- गोम्शस्टाभिसि ॥ ७७ ॥ इदम: स्थाने अम् शस् टाभिस्सु परेषु ण आदेशो वा भवति । णं पेच्छ । णे पेच्छ । पेण णेहिं कयं । पक्षे । इमं । इमे इमेण । इमेहि । अम्, शस्, टा और भिस् प्रत्यय आगे होने पर, 'ण' (ऐसा ) मादेश विकल्प से होता है । उदा० णं पक्ष में:- इमं -- "इमेहि । Jain Education International इदम् ( सर्वनाम ) के स्थान पर कथं । ( विकल्प ) अमेणम् ॥ ७८ ॥ इमोमा सहितस्य स्थाने इणम् इत्यादेशो वा भवति । इणं पेच्छ । पक्षे । इमं । १. इदम् का अ होने के बाद. सूत्र ३.१५ के अनुसार, इस अ का ए होकर, एहि, ए ये रूप बने हुए हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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