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प्राकृतव्याकरणे
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संयुक्त व्यञ्जन में अनन्तर ( यानी द्वितीय अवयव ) होनेवाले म्, न और य इनका लोप होता है । उदा०--म् ( का लोप ):- जुग्गं रं । न ( का लोप ):-नग्गो, लग्गो। य् (का लोप):--सामा 'बाहो।
सर्वत्र कबरामवन्दे ।। ७६ ॥
वन्द्रशब्दादन्यत्र लबरा सर्वत्र संयुक्तस्योर्ध्वमधश्च स्थितानां लुग भवति । ऊर्ध्वम् । ल । उल्का उक्का ; वल्कलम् वक्कलं। ब। शब्दः सद्दो। अब्दः अहो । लुब्धकः लोद्धओ। र। अर्कः अक्को। वर्गः वग्गो । अधः । श्लक्ष्णम् सण्हं । विक्लवः विक्कवो । पक्वम् । पक्कं पिक्कं । ध्वस्तः। धत्थो। चक्रम् चक्कं । ग्रहः गहो । रात्रिः : रत्ती। अत्र द्व इत्यादि संयुक्तानामुभयप्राप्तौ यथा दर्शनं लोपः। क्वचिदूर्ध्वम् ।' उद्विग्नः उबिग्गो। द्विगुणः विउणो। द्वितीयः बीओ। कल्मषम् कम्मसं । सर्वम् सठ। शुल्बम् सुब्बं । क्वचित्त्वधः । काव्यम् कब्बं । कुल्या कुल्ला। माल्यम् भल्ल । द्विपः दिओ। द्विजातिः दुआई। क्वचित् पर्यायेण । द्वारम् बारं दारं । उद्विग्नः उविग्गो उव्विणो । अवन्द्र इति किम् । वन्द्रं । संस्कृतसमोयं प्राकृ शब्दः । अत्रोत्तरेण विकल्पोपि न भवति निषेधसामर्थ्यात् ।
बन्द्र शब्द छोड़कर, अन्यत्र ( यानी अन्य शब्दों में ) संयुक्त व्यञ्जन में पहले अथवा अनन्तर ( यानी प्रयम किं वा द्वितीय अवयव ) होने वाले ल, ब और र इनका सर्वत्र लोप होता है उदा.--प्रथम ( अवयव ) होने परः---ल का लोप):उल्फा''वक्कलं । ब ( का लोप ): --- शब्द:--लोधी । र (का लोप):--अर्कः... वग्गो । अनन्तर ( यानो द्वितीय अवयव ) होने परः---(ल का लोप):---- इलक्षणम् .. विक्कयो । ( व का लोप ):-पक्वम् धत्थो। ( र का लोप :-चक्रम् "रत्ती । यहाँ द इत्यादि संयुक्त व्यञ्जनों में ( एकही समय पहला और दूसरा अवयव इनका लोप ऐसी) दो वर्णान्तरों की प्राप्ति होने पर, ( साहित्य में.) जैसा दिखाई देगा वैसा (किसी भी एक अवयव का) लोप करे । ( इसलिए ) क्वचित् प्रघम होनेवाले अवयव का ( लोप होता है । उदा०-) उद्विग्नः “सुब्बं । ( तो कभी ) अनन्तर होनेवाले ( अवयव ) का ( लोप होता है। उदा० --- काव्यम् - 'दुआई । क्वचित पर्याय से ( पहले और दूसरे अवयव का लोप होता है। उदा०-):--द्वारम्... उविणो । चन्द्र शब्द छोड़कर ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण प्राकृत में ) वन्द्र ( शब्द वैसा ही रहता है )। यह प्राकृत शब्द वन्द्र संस्कृत सम है ! इस ( वन्द्र शब्द ) के बारे में, ( प्रस्तुत सूत्र में से ) निषेध के सामर्थ्य से, अगले ( २८० ) सूत्र में कहा हुआ विकल्प भी नहीं होता है।
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