SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिंचतिहिं मयरद्धउ ण्हाणिउ सरसवयणजत्तिहिं आवजिउ एत्थंतरि णारीयणसारी हिव धोय धवलई वत्थई सुयसमीवि आवंति विहाविय पुप्फयंत विरइयउ धत्ता-मंचारुढियर वजारउ दिण्णसिंगारहो । Jain Education International जोयंतिहिं हियएण जि माणिउ । उप्पलताडणेण णं पुजिउ । सिरिपुहई महवि भडारी । चंद कुंकुमाई सुपसत्थई । दुसवत्तिए रायहो दाविय । जो वहि धरणिव पियघरिणि जंति घरु जारहो ॥ ८ ॥ 9 विडिउ जणणिहे पयजयलए किं परं देवि महासइ निंदिय मायासुयई समायई गेहहो गउ लहु लहुयहें घरिणिहें मंदिरु पुरवरहिंडणु सुयहो असोहणु मा महिलडु लग्गड कामग्गहु अव कुमंतिमंत हयसोत्तहो तं अवहेरिउ बालमयच्छिए माणिणि जा मुज्झइ सा मुज्झउ दुज्जणु जो जूरइ सो जूरउ गणरणाहु जाम णियणिलयहो वयणु दिष्णु चड सुंदर गयवरे मणिज्झरे सिंदूरापंकिए देवि तण वयणु आयण्णिवि [3.8. 12 King's suspicions dispelled. He, however, asks his younger wife not to allow Nagakumara to make any more rambles in the town. She defies the order. -ता सहस त्ति वीरचूडामणि लीलाजित्तदिग्गउ । सभवणपच्छिमत्थणंदणवणसरतीराउ णिग्गर ॥ दुबई दिउराएं वृत्त सलैए । पेक्खु पेक्खु पुति अहिणंदिय । विइहे तित्ति ण पुण्णी हहो । वयणु पयंपिउ राएं सुंदरु । मा महु होउ अहम्मारोहणु । मा मेलंतु सभवणपरिग्गहु | मइ विवरीय होइ सार्यत्तहो । वियरउ णंदणु णयरि सइच्छिए । छुड महु तणयहो हियवउ सुझउ । छड महु सयलमणोरहँ पूरउ । ता माय पुतो कुलतिलयहो । कण्णचमरउड्डावियमहुयरे । कच्छरिच्छगलगिजालंकिए । हिंडणसीलें भलउ मणिवि । 15 For Private & Personal Use Only 5 10 ७ C गेहिवि. १. १ E 'लल्लउ. २ E लड; C ससलए. ३ C ° लहं. ४ AB अवर. ५ C सुत्तहो. ६ C सीमंत हो; E सामत्तहो. ७ C हु. ८ E कणय . 15 www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy