________________
2. 14. 13
नायकुमारचरिउ
आहरणई मणिमय कब्बुरई मंदारकुसुमवर मालियउ चमरई छत्तई संजोइयई धररंधि समंदिरु देरिसियर जणणीहिं व थणमुहदाइणिहिं वंदिउ परियंचि किण्णरिहिं पुणु पुणु जोइवि हजियउ णिद्दरवहो सुहि वंकइ वयणु णिउ पिउणा पुरु थिउ माउहेरे
दिण्णई देवंगई अंबरई । गुमुगुमुगुमंतभमरालियउ । अहिअंकई चिंधई ढोइयई । भणु किं ण पुण्णवंत हो कियउ । उच्चाइड बालउ णाइणिहिं । संभासिङ सुरवरसुंदरिहिं ।
दापण विसज्जियउ । दइवेण कालस वि संयणु । कालर पुणु वासरे पवरे ।
घत्ता - धवलहिं मंगलहिं हयमद्दलहिं णं णरु दोर्जेणिवासहो । सिसु विसहरहो घरु णिउ महिविवरु पुल्फयंत जिणदास हो ॥ १४ ॥
Jain Education International
इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामं किए महाकइयु फयंतविरइए महाकव्वे नायकुमारसंभवो णाम दुइज्जो परिच्छेउ समत्तो ॥
॥ संधि ॥ २ ॥
14. १ E दर° २ C सु° ३ C ° घरे. ४ AB दोणु.
२३
For Private & Personal Use Only
5
10
www.jainelibrary.org